अंबानी आवास पर आतंकी हमले का मामला: बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े हाउस कस्टडी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे

LiveLaw News Network

6 Oct 2021 1:02 PM GMT

  • अंबानी आवास पर आतंकी हमले का मामला: बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाज़े हाउस कस्टडी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे

    मुकेश अंबानी के आवास के पास कार बम धमाके मामले में बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक और मुख्य आरोपी सचिन वाज़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    वाज़े ने अपनी बायपास सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए हाउस कस्टडी के आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा राहत देने से इनकार करने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया।

    न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वाज़े की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।

    वाज़े के वकील सुदीप पासबोला और रौनक नाइक ने अदालत को सूचित किया कि विशेष अदालत द्वारा उसकी याचिका खारिज करने के बाद उन्हें वॉकहार्ट अस्पताल से तलोजा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

    इसके बाद एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा।

    वाज़े को 13 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उस पर जिलेटिन की छड़ों से भरी जीप को उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास रखने और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या की योजना बनाने का आरोप है।

    एनआईए ने उस पर और छह अन्य पर हत्या और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया। मामले में 10 लोग आरोपी हैं।

    वाज़े की बायपास सर्जरी

    विशेष एनआईए कोर्ट ने 29 सितंबर को हाउस कस्टडी के लिए वेज़ के आवेदन को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने वाज़े को एक महीने के लिए तलोजा जेल के चिकित्सा सुविधा कक्ष में रखने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वाज़े को हाउस कस्टडी दिए जाने के लिए एक योग्य मामला नहीं बनता।

    अदालत ने नोट किया कि वाज़े को 30 अगस्त को अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी गई थी। उसके बाद नौ सितंबर को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चार दिन बाद, उसकी आठ घंटे लंबी बायपास सर्जरी हुई।

    न्यायाधीश ने पाया कि वर्कहाट अस्पताल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाज़े को स्वस्थ पाने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि यह सच है कि तलोजा जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन आपात स्थिति में उसका इलाज नजदीकी अस्पताल में किया जा सकता है।

    अदालत ने कहा,

    "अपराध गंभीर प्रकृति का है। उसके फरार होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उसके घर पर उसके रिश्तेदारों से मिलने और हाउस कस्टडी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल की संभावना हो सकती है।"

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