ईसाई धर्म के खिलाफ कथित हेट स्पीच- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार किया, याचिकाकर्ता को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत की छूट दी
LiveLaw News Network
28 Oct 2021 12:17 PM IST

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को सोहन पोटाई नामक एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। उस पर कथित तौर पर ईसाई धर्म के खिलाफ नफरत भरा भाषण देने का आरोप है।
हालांकि, जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपराध स्थल पर क्षेत्राधिकार वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी से संपर्क करने और सीआरपीसी की धारा 156 (3) के या सीआरपीसी की धारा 200 के तहत शिकायत दर्ज कराने की स्वतंत्रता दी।
मामला
छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष (याचिकाकर्ता) ने आरोप लगाया कि उन्हें जनवरी 2021 में सोशल मीडिया के जरिए एक वीडियो प्राप्त हुआ, जिसमें सोहन पोटाई (प्रतिवादी संख्या 9) एक भाषण दे रहा था, जिसमें उसने ईसाई धर्म के खिलाफ बात की और कोशिश की ईसाई धर्म के अनुयायियों के खिलाफ आम जनता को भड़काया जाए।
इसके बाद याचिकाकर्ता मंच के अध्यक्ष ने पोटाई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी खम्हरडीह, जिला रायपुर के समक्ष आवेदन किया।
यह आरोप लगाया गया कि पोटाई ने भड़काऊ भाषण दिया, जिसके कारण लोगों ने ईसाई धर्म के अनुयायियों को धमकी देना, मारपीट करना और उनकी घरेलू संपत्ति को इस उद्देश्य से नष्ट करना शुरू कर दिया कि ईसाई धर्म के अनुयायी ईसाई धर्म को छोड़ दें।
अदालत के समक्ष, याचिकाकर्ता के वकील ने हिंसक घटनाओं के संबंध में विभिन्न लोगों द्वारा की गई कुछ शिकायतों का उल्लेख किया, जो कथित तौर पर पोटाई (जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी) द्वारा दिए गए घृणास्पद भाषणों की वजह से हुई थी।
राज्य की प्रतिक्रिया
राज्य ने अपने जवाब में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी संख्या 9 (पोटाई) ने न तो ईसाई धर्म के खिलाफ कुछ कहा और न ही ईसाई धर्म के खिलाफ किसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
यह भी कहा गया कि पादरी और सुकमा में कैथोलिक चर्च के एक अन्य सदस्य के बयान भी रिकॉर्ड किए गए और उनके सामने कई बार कथित वीडियो भी चलाया गया, लेकिन उन्होंने कहा कि ईसाई धर्म के खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई थी और वीडियो के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। इसलिए, यह तर्क दिया गया कि कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।
इसके अलावा, कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई शिकायतों के संबंध में, यह प्रस्तुत किया गया कि वे शिकायतें प्रतिवादी संख्या 9 से संबंधित नहीं हैं बल्कि वे कुछ अन्य उपद्रवियों से संबंधित हैं और उक्त शिकायतों में उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है।
न्यायालय की टिप्पणियां
30-40 व्यक्तियों के हलफनामे का हवाला देते हुए, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी संख्या 9 ने हेट स्पीच दी थी, अदालत ने शुरुआत में कहा, "यह एक तथ्य है, जिसकी जांच की जानी है। यह न्यायालय इस तथ्य की कल्पना नहीं कर सकता है कि ये व्यक्ति जनसभा के समय उपस्थित थे या नहीं। हलफनामे में लगाए गए आरोपों की प्रामाणिकता और सत्यता की जांच केवल ट्रायल कोर्ट द्वारा की जा सकती है…माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के लिए ऐसी याचिका दायर करने की बार-बार विरोध किया है।"
ईसाई धर्म के अनुयायियों के साथ हुई घटनाओं पर अदालत ने कहा कि एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है और मामले की जांच अभी भी चल रही है। कोर्ट ने कहा कि, ईसाई समुदाय के सदस्यों को परेशान किया जा रहा है, इस न्यायालय द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
अंत में, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष अपील करने की स्वतंत्रता देकर रिट याचिका का निपटारा किया। न्यायालय ने निर्देश दिया कि मजिस्ट्रेट सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगा।
केस का शीर्षक- अध्यक्ष अरुण पन्नालाल के जरिए छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य