इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठे केस में जेल में बंद रहने के दौरान गुम हुए दंपत्ति के बच्चों की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया
LiveLaw News Network
19 March 2021 10:08 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के झूठे आरोप में 5 साल बाद जेल से रिहा किए गए दंपति की उस रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें आरोप लगाया है कि उनके जेल में रहने के दौरान संरक्षण गृह में रह रहे दो बच्चे अब लापता हैं।
न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की एक खंडपीठ ने "इन रे ए केस लुकिंग जस्टिस" शीर्षक से एक मामला दर्ज किया और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता से जवाब और केस की अगली तारीख को रिपोर्ट की स्थिति दर्ज करने के लिए कहा गया है।
बेंच ने नरेंद्र सिंह और नजमा की स्थिति पर टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट पर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए मुंबई स्थित अधिवक्ता द्वारा भेजे गए एक पत्र का संज्ञान लिया है।
2015 में एक पांच वर्षीय लड़के की हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ आगरा का यह युगल, स्थानीय पुलिस द्वारा एक झूठी जांच का शिकार हो गया। युगल को बरी करने के अपने आदेश में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कहा कि तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर ने भी असली अपराधी का पता लगाने की कोशिश नहीं की और दंपति के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी।
आदेश में कहा गया है,
"प्रभारी निरीक्षक द्वारा दिए गए साक्ष्य उसकी लापरवाही और जांच के प्रति उदासीनता को दर्शाते हैं, जिसके द्वारा वह वास्तविक अपराधी (ओं) का पता लगाने के बजाय, जल्दी से जांच पूरी करने और चार्जशीट दाखिल करने का श्रेय लेने की कोशिश करता है।"
इस आदेश में आगे कहा गया कि अभियोजन पक्ष के सबूत अस्थिर थे और उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनाया गया था।
टीओआई के अनुसार, अब दंपति का दावा है कि उनके दो बच्चे, एक बेटा जो उस समय पांच साल का था और उस समय तीन साल की एक बेटी गायब है। रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को उनके माता-पिता की गिरफ्तारी के समय एक अनाथालय/संरक्षण गृह में भेज दिया गया था।
रिहा होने पर दंपति अपने बच्चों का पता लगाने में असमर्थ रहे हैं और उन्होंने संबंधित एसएसपी से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है।
मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है।
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