इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान मामले में पुलिस सेवा भर्ती चरण/प्रक्रिया पर यूपी सरकार से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
11 Oct 2021 11:19 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस सेवाओं में कोई भर्ती प्रक्रियाधीन है और यदि ऐसी कोई प्रक्रिया चल रही है, तो उस प्रक्रिया के चरण के बारे में विवरण प्रस्तुत करे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ पुलिस सेवा में भर्ती के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका के रूप में दर्ज एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
महत्वपूर्ण रूप से सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया था कि वे संबंधित राज्य में पुलिस सेवा भर्ती के मामले में न्यायिक पक्ष पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रूप में विचार करें और समय-समय पर मामले की निगरानी करें।
शीर्ष अदालत ने मनीष कुमार बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में यह निर्देश जारी किया था। इसमें केंद्रीय मुद्दा राज्यों में पुलिस बलों में विभिन्न पदों पर बड़ी संख्या में रिक्त पदों को भरने के संबंध में था।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक हाईकोर्ट को पुलिस सेवा में भर्ती के संदर्भ में कई मुद्दों पर विचार करने के लिए एक जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था, इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका के रूप में वर्तमान याचिका पर एक आदेश पारित किया गया।
मनीष कुमार मामले (सुप्रा) का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस अधिकारियों की समय पर भर्ती की अनुपस्थिति प्रशासन और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में समस्या पैदा कर रही है।
इसलिए, सैंडिंग काउंसल को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। इसमें बताया गया था कि क्या पुलिस सेवा में कोई भर्ती प्रक्रिया में है और यदि है, तो चरण के साथ भर्ती के संबंध में उसका विवरण दें। याचिका को 19.10.2021 को सूचीबद्ध किया गया।
केस का शीर्षक - इन री टू पुलिस एंड आर्म्ड फोर्सेज (स्टेट) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर
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