इलाहाबाद हाईकोर्ट ने COVID-19 मामलों में वृद्धि के बीच यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को स्थगित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

LiveLaw News Network

20 Jan 2022 11:21 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने COVID-19 मामलों में वृद्धि के बीच यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को स्थगित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में COVID-19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर उत्तर प्रदेश विधानसभा (फरवरी-मार्च 2022 में होने वाले) चुनाव को स्थगित करने की मांग की गई थी।

    जस्टिस अताउर्हमान मसूदी और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की पीठ ने मामले की सुनवाई की और दलीलों को सुनने के बाद जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इसके कारणों को बाद में दर्ज किया जाएगा।

    पीआईएल की पृष्ठभूमि

    जनहित याचिका अतुल कुमार और एक अन्य (जो चुनाव लड़ने का इरादा कर रहे हैं) ने अधिवक्ता अशोक पांडे के माध्यम से दायर की। इसमें कहा गया कि मतदान की तारीख की घोषणा में चुनाव आयोग ने विवेक का प्रयोग नहीं किया।

    याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता यूपी का चुनाव लड़ने का इच्छुक है। हालांकि, राज्य विधानसभा चुनाव चूंकि COVID-19 महामारी के बीच हो रहे हैं इसलिए वह चुनाव लड़ने में असमर्थ है।

    जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि कानून के अनुसार, संसद और विधानसभा का आम चुनाव विधानसभा या लोकसभा के विघटन के बाद होता है, या जब उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला हो। याचिका में तर्क दिया गया कि इसका मतलब है कि यू.पी. विधानसभा चुनाव मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही होना चाहिए।

    जनहित याचिका में कहा गया,

    "... जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 में विधानसभा की अवधि की समाप्ति पर या विधानसभा भंग होने पर चुनाव का प्रावधान है। केवल धारा 15 के प्रावधान में विधानसभा के विघटन से पहले चुनाव आयोजित करने का प्रावधान है। इसलिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि एक कारण उस मूल प्रावधान की जगह नहीं ले सकता है। आम तौर पर चुनाव तब होना चाहिए जब मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो गया हो, समाप्त हो गया हो या इसे भंग कर दिया गया हो। अपवाद के रूप में चुनाव को कभी-कभी मौजूदा विधानसभा की अवधि समाप्त होने से पहले छह महीने की अवधि के भीतर आयोजित किया जा सकता है।"

    याचिका में जोर देता हुए कहा गया कि राज्य विधानसभा का कार्यकाल अभी तक पूरा नहीं हुआ है और न ही इसे भंग किया गया है। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मई, 2022 तक है।

    जनहित याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मई, 2022 तक है इसलिए, जब COVID-19 की तीसरी लहर जोरों पर हो तब चुनाव की प्रक्रिया शुरू करना सही नहीं है। विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से कुछ महीने पहले चुनावा कराना चुनाव आयोग का एक अत्यधिक अनुचित और अन्यायपूर्ण निर्णय है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    जनहित याचिका में यूपी-पंचायत चुनाव और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के दौरान हुए COVID-19 संक्रमण ​के आगे प्रसार की ओर संकेत किया गया है।

    यूपी सरकार की स्थिति को चुनाव आयोग के अलावा जनहित याचिका में एक प्रतिवादी के रूप में रखा गया है। इसमें कहा गया कि सरकार ने चुनाव आयोग के फरवरी-मार्च में चुनाव कराने के प्रस्ताव पर आपत्ति नहीं की।

    जनहित याचिका में कहा गया,

    "वर्तमान चुनाव इसलिए भी अवैध है, क्योंकि अपने चुनाव कार्यक्रम में चुनाव आयोग ने कहीं भी यह नहीं बताया कि चुनाव क्यों हो रहा है, जबकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होना बाकी है और इसे भंग भी नहीं किया गया है ... कोई संवैधानिक आवश्यकता नहीं है। यूपी विधानसभा चुनाव मार्च के पहले पखवाड़े में पूरा करने के बजाय इसे दो-तीन महीने के लिए टाला जा सकता है और यह प्रक्रिया अप्रैल और मई में शुरू की जा सकती है। चुनाव कराने के बाद मई में मतों की गिनती हो सकती है।

    केस का शीर्षक - अतुल कुमार एवं अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग

    Next Story