प्रयागराज स्कूल में 'नॉन-कमर्शियल' बज़्म-ए-विरासत फेस्ट की हाईकोर्ट ने दी इजाज़त, कहा- ट्रेड फेयर पर सख्त बैन बरकरार
Shahadat
4 Dec 2025 10:02 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रयागराज में एक प्राइवेट, बिना मदद वाले माइनॉरिटी इंस्टिट्यूशन के कैंपस में स्टार-स्टडेड 'बज़्म-ए-विरासत' फेस्टिवल के दूसरे एडिशन को होस्ट करने का रास्ता साफ़ किया।
यह तीन दिन का कल्चरल इवेंट 19 से 21 दिसंबर, 2025 तक बिशप जॉनसन स्कूल और कॉलेज में होना है।
यह ऑर्डर इसलिए ज़रूरी है, क्योंकि हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर को पास किए गए अपने पहले के ऑर्डर में एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन को अपने प्लेग्राउंड और इंफ्रास्ट्रक्चर को "कमर्शियल एक्टिविटी" या किसी थर्ड पार्टी को इस्तेमाल करने की इजाज़त देने से सख्ती से रोक दिया था। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया था कि स्कूल "सिर्फ़ एजुकेशन देने के लिए हैं"।
यह मौजूदा ऑर्डर मामले के खास फैक्ट्स को देखते हुए पास किया गया, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि यह इवेंट एक नॉन-कमर्शियल एक्टिविटी नहीं बल्कि एक कल्चरल इवेंट है।
हालांकि, चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डिवीजन बेंच ने साफ किया कि इस परमिशन को 14 अक्टूबर के ऑर्डर की पाबंदियों में ढील के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। इसका मतलब है कि शादियों, ट्रेड फेयर और कमर्शियल दुकानों के लिए स्कूलों के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट की रोक पूरी तरह से बनी रहेगी।
आसान शब्दों में कहें तो 'बज़्म-ए-विरासत' फेस्ट के ऑर्गनाइज़र ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर यह साफ करने की मांग की कि 14 अक्टूबर का ऑर्डर उन नॉन-प्रॉफिट कल्चरल और एजुकेशनल इवेंट्स को नहीं रोकेगा, जो बिना किसी कमर्शियल एक्टिविटी या प्राइवेट फायदे के किसी प्राइवेट अनएडेड माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन की छुट्टियों के दौरान वहां ऑर्गनाइज़ किए जाते हैं।
याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट इसलिए जाना पड़ा, क्योंकि बिशप जॉनसन स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन ने इवेंट की परमिशन रोक दी थी और लोकल डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने भी हाईकोर्ट के ऑर्डर को देखते हुए मदद रोक दी थी।
दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अनुराग खन्ना ने एडवोकेट राघव देव गर्ग की मदद से दलील दी कि 'बज़्म-ए-विरासत' फेस्ट को कोर्ट द्वारा बैन किए गए 'ट्रेड फेयर' और 'एग्ज़िबिशन' जैसा नहीं देखा जा सकता।
एप्लीकेंट [बज़्म-ए-विरासत फाउंडेशन] ने कहा कि यह इवेंट एक नॉन-प्रॉफिट पहल है जो यूपी राज्य की रिच मिली-जुली संस्कृति, परफॉर्मिंग आर्ट्स, साहित्य और विरासत को बढ़ावा देने और बचाने के लिए है।
यह दलील दी गई कि यह फेस्टिवल कोई प्राइवेट या कमर्शियल वेंचर नहीं है, बल्कि प्रयागराज शहर के लिए काफी सामाजिक और एजुकेशनल वैल्यू वाला एक राज्य-मान्यता प्राप्त कल्चरल पहल है।
एप्लीकेंट के एफिडेविट में आगे बताया गया कि यह इवेंट डोनेशन से फंडेड है, इसका कोई प्रॉफिट का मकसद नहीं है। इसमें टिकट कंट्रीब्यूशन भी सिर्फ कलाकारों की फीस और लॉजिस्टिक्स को कवर करने के लिए है।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि इस फेस्टिवल में फिल्ममेकर शेखर कपूर, आशुतोष गोवारिकर, इम्तियाज अली और अनुराग बसु के साथ-साथ क्रिकेट के आइकॉन मोहम्मद कैफ, सुरेश रैना और आरपी सिंह जैसे कई बड़े नाम शामिल होंगे।
बेंच को यह भी बताया गया कि चूंकि इंस्टीट्यूशन में एकेडमिक एक्टिविटी 19 दिसंबर से 4 जनवरी, 2026 तक बंद रहेंगी, इसलिए तीन दिन के इस इवेंट से इंस्टीट्यूशन में एकेडमिक एक्टिविटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
असल में हाईकोर्ट के सामने इंस्टीट्यूशन के वकील ने कहा कि अगर कोर्ट एप्लीकेशन को मंज़ूरी दे और अपने पिछले ऑर्डर को साफ़ करे तो उन्हें कोई एतराज़ नहीं है।
हाईकोर्ट का ऑर्डर
इस पृष्ठभूमि में बेंच ने शुरू में कहा कि उसका 14 अक्टूबर का ऑर्डर इंस्टीट्यूशन्स के एकेडमिक माहौल को बनाए रखने के लिए था, न कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स के इंफ्रास्ट्रक्चर के कमर्शियलाइज़ेशन की इजाज़त देने के लिए, जहां मैनेजमेंट का मकसद ऐसी कमर्शियल एक्टिविटीज़ को बढ़ावा देकर प्रॉफिट कमाना हो।
उसने आगे कहा कि हालांकि उसका पिछला ऑर्डर एब्सोल्यूट है, लेकिन इस खास इवेंट के नेचर को देखते हुए एक अलग नज़रिया ज़रूरी था।
बेंच ने कहा,
"हमें यह कमर्शियल नेचर का नहीं लगता, यानी यह कहना कि उस इवेंट में कोई भी कमर्शियल एक्टिविटी दिखाई नहीं देती है।"
कोर्ट ने इस बात पर खास ज़ोर दिया कि स्कूल खुद जगह के लिए कोई रेंटल फीस नहीं ले रहा था और यह इवेंट विंटर वेकेशन (19 दिसंबर से 3 जनवरी) के दौरान होगा, जिसका मतलब है कि एकेडमिक एक्टिविटीज़ में कोई रुकावट नहीं होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह इवेंट शहर के कल्चरल और लिटरेरी इतिहास को दिखाएगा और इससे सभी इंस्टीट्यूशन्स के स्टूडेंट्स को भी फायदा होगा।
हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि यह परमिशन स्कूल ग्राउंड्स के कमर्शियल गलत इस्तेमाल के लिए एक मिसाल नहीं बनती। बेंच ने साफ़-साफ़ कहा कि वे इवेंट की इजाज़त सिर्फ़ "हमारे सामने लाए गए अजीब तथ्यों" के आधार पर दे रहे हैं और इस ऑर्डर को पहले लगाई गई "पाबंदियों में ढील" के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए।
बेंच ने साथ ही चेतावनी दी,
"सभी स्टेकहोल्डर्स ऑर्डर की भावना का सम्मान करेंगे और अगर कोर्ट को कोई शिकायत मिलती है जिसमें लगाई गई पाबंदियों के उल्लंघन का पता चलता है, तो कोर्ट सही ऑर्डर पास करने के लिए मजबूर होगा।"

