'मासूम जानवरों को मारने के लिए बाध्य करने वाला कोई प्रावधान नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपद्रव पैदा करने वाले पक्षियों, कुत्तों को मारने की मांग वाली याचिका खारिज की
Shahadat
6 Feb 2023 12:57 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह वह जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी, जिसमें लखनऊ नगर निगम को उपद्रव या कीट पैदा करने वाले पक्षियों या जानवरों को नष्ट करने और लखनऊ शहर में आवारा या मालिक रहित कुत्तों को नष्ट करने के अपने कर्तव्य का निर्वहन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि इस तरह का निर्देश न्यायालय द्वारा जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो नगर निगम को निर्दोष जानवरों को मारने के लिए बाध्य करता हो।
जनहित याचिका वकील मनोज कुमार दुबे ने दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट वर्तमान में आवारा कुत्तों के खतरे से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रहा है, जिसके बाद लखनऊ में एक घटना की सूचना मिली। इस घटना में 20 से ज्यादा आवारा कुत्तों के हमले में आठ वर्षीय लड़के की मौत हो गई और उसकी बहन गंभीर रूप से घायल हो गई।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए लखनऊ नगर निगम को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि आखिर 10 लाख रुपये की राशि क्यों? मृतक बच्चे के परिवार को 10,00,000/- नहीं दिया जा सकता।
गौरतलब है कि पिछले साल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य भर की नगर पालिकाओं को निर्देश दिया कि वे अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों के भीतर आक्रामक आवारा कुत्तों की पहचान करें और उन्हें डॉग पाउंड में रखें।
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने नैनीताल स्थित गिरीश चंद्र खोलिया द्वारा वर्ष 2017 में दायर जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
उपस्थिति- याचिकाकर्ता के वकील: सुदीप सेठ, श्रीधर अवस्थी और प्रतिवादी के वकील: सीएससी, गौरव मेहरोत्रा, नमित शर्मा, संतोष कुमार त्रिपाठी।
केस टाइटल- मनोज कुमार दुबे एडवोकेट पुत्र राम मणि नाथ दुबे बनाम स्टेट ऑफ यूपी. प्रिं के माध्यम से, सचिव, नगर विकास और अन्य [जनहित याचिका (पीआईएल) नंबर- 2800/2009]
केस साइटेशन: लाइवलॉ (एबी) 48/2023
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें