इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित एक गरीब महिला को मुफ्त इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

11 Feb 2021 7:30 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित एक गरीब महिला को मुफ्त इलाज मुहैया कराने का निर्देश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार और अस्पताल के अधिकारियों को ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित एक गरीब महिला को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने का निर्देश दिया है, जो आय और धन की कमी के कारण इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ है।

    न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।

    इस मामले में एक सौहार्द लखनपाल द्वारा याचिका दायर की गई है, जो अपनी मां के लिए वित्तीय मदद मांग रहा है। उसकी मां इन्फिल्ट्रेटिंग डक्टल कार्सिनोमा से पीड़ित है,जो ब्रेस्ट कैंसर का एक प्रकार है और उसे मेडिकल उपचार की जरूरत है।

    याचिकाकर्ता के अनुसार इलाज में शामिल महंगी लागत और परिवार की आय नगण्य होने के कारण उनका परिवार इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहा है।

    हाईकोर्ट ने 01.02.2021 को दिए आदेश के तहत इस मामले में मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने अदालत की सहायता के लिए मामले में एमिकस क्यूरिया नियुक्त किया था।

    किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ (केजीएमयू) द्वारा प्रदान किए गए उपचार की अनुमानित लागत 1,50,000 रुपये है। याचिकाकर्ता को 15 जुलाई 2020 को अनुदान के रूप में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 75,000 रुपये दे दिए गए हैं। हालांकि, धन की कमी के कारण याचिकाकर्ता उपचार जारी रखने में असमर्थ हैं।

    राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने कैंसर रोगियों को मुफ्त इलाज देने का प्रावधान किया है। इस स्लैब में बीपीएल कार्डधारी, 3.25 एकड़ जमीन रखने वाले लोग या जिनकी वार्षिक आय 35,000 रुपये से कम है,को शामिल किया गया है।

    ऐसा करते हुए, उन्होंने 2013 के नियमों पर भरोसा किया जो यह प्रदान करते हैं कि राज्य के मेडिकल कॉलेज और अन्य स्वायत्त चिकित्सा संस्थान असाध्य रोगों के उपचार के लिए निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान करेंगे और यदि उपचार के लिए किसी अन्य सुविधा की आवश्यकता होती है, तो उपचार करने वाले संस्थान/ मेडिकल कॉलेज के लिए रोगी को अन्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए रेफर करना आवश्यक होगा।

    इसे देखते हुए, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किएः

    1. याचिकाकर्ता की मां को केजीएमयू के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में तीन दिनों के भीतर भर्ती कराया जाए और उसे उचित बिस्तर उपलब्ध कराया जाएगा जहां उसका उपचार शुरू होगा।

    2. जो भी नैदानिक परीक्षण/जांच आवश्यक हैं और जिनके लिए केजीएमयू में सुविधा उपलब्ध है, वो केजीएमयू में ही किए जाएं। यदि केजीएमयू में कोई अपेक्षित नैदानिक ​​परीक्षण या कोई अन्य चिकित्सा जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो रोगी को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भेजा जा सकता है।

    3. अगर याचिकाकर्ता की मां के उपचार की प्रक्रिया में ऐसी कोई आवश्यकता होती है तो

    केजीएमयू के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक स्वंय डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के साथ व्यक्तिगत रूप से समन्वय करेंगे।

    4. नियम 2013 में निहित प्रावधानों के अनुसार रोगी को दवाई, चिकित्सा उपकरण और मेडिकल डायग्नोस्टिक टेस्ट/जांच आदि सहित पूरा उपचार निःशुल्क प्रदान किया जाएगा। याचिकाकर्ता की मां के उपचार के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से जारी की गई राशि को उक्त उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा सकता है।

    यह मामला अब 24 मार्च 2021 को सूचीबद्ध किया गया है। न्यायालय ने केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को भी निर्देश दिया है कि वे उपचार के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए सुनवाई की अगली तारीख पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

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