बार के सदस्य भी सैनिकों की तरह करते हैं काम: एडवोकेट को धमकाने पर ग्राम प्रधान पर हाईकोर्ट ने 25,000 का जुर्माना लगाया

Amir Ahmad

10 July 2025 3:23 PM IST

  • बार के सदस्य भी सैनिकों की तरह करते हैं काम: एडवोकेट को धमकाने पर ग्राम प्रधान पर हाईकोर्ट ने 25,000 का जुर्माना लगाया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में ग्राम प्रधान पर 25,000 का जुर्माना लगाया, जिसने याचिकाकर्ता वकील को अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी थी।

    जस्टिस जे.जे. मुनीर ने कहा,

    "किसी एडवोकेट से अपमानजनक तरीके से बात करना केवल वकालत के पेशे का नहीं बल्कि संपूर्ण न्याय व्यवस्था का अपमान है, क्योंकि बार न्यायपालिका का अभिन्न हिस्सा है। वकील इस तनावपूर्ण न्याय प्रणाली में सैनिकों की तरह काम करते हैं।"

    मामला संक्षेप में

    याचिकाकर्ता बानो बीबी ने ज़मीन पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने फूलपुर प्रयागराज के उप-जिलाधिकारी और तहसीलदार को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था।

    इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील (जो उसका दामाद भी है) को ग्राम बहादुरपुर कछार हेतापट्टी, तहसील फूलपुर जिला प्रयागराज के ग्राम प्रधान द्वारा केस वापस लेने की धमकी दी गई। कहा गया कि यदि केस वापस नहीं लिया गया तो उन्हें झूठे SC/ST Act के मामले में फंसा दिया जाएगा।

    इस पर हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान को मामले में पक्षकार बनाया और धमकी की कॉल रिकॉर्डिंग रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का निर्देश दिया। कॉल ट्रांसक्रिप्ट की प्रतियां सभी पक्षों को दी गईं और ग्राम प्रधान को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया। उसका जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर कोर्ट ने बेहतर हलफनामा मांग लिया।

    अंततः कोर्ट ने कहा कि वह आपराधिक अवमानना की कार्रवाई से फिलहाल परहेज़ कर रही है, लेकिन 25,000 का जुर्माना लगाकर न्यायिक प्रक्रिया को अपमानित करने की हरकत पर कड़ा संदेश देना जरूरी है।

    जुर्माने की राशि का बंटवारा:

    10,000 वकील वसीम अख्तर को दिया जाएगा, जिसे धमकी मिली थी।

    15,000 उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में जमा कराया जाएगा।

    कोर्ट की टिप्पणी

    "वकीलों को ज़रा सी चूक पर आलोचना झेलनी पड़ती है। ऐसे में यदि कोई आम नागरिक या विपक्षी पक्षकार किसी अधिवक्ता को फोन पर गाली-गलौज करता है तो यह गंभीर मामला है। यह आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है। हालांकि, ग्राम प्रधान द्वारा बिना शर्त खेद प्रकट करने के कारण हम उन्हें सिर्फ एक कड़ी चेतावनी दे रहे हैं और 25,000 का जुर्माना लगा रहे हैं।"

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