इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 'आघात और सामाजिक दुखों से मुक्त' करने के लिए 23 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के टर्मिनेशन की अनुमति दी

Manisha Khatri

13 Sept 2022 2:45 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की तरफ से दायर उस रिट याचिका को अनुमति दे दी है,जिसमें उसने अपनी 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करवाने की अनुमति मांगी थी।

    मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अट्टाउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मेडिकल विशेषज्ञों को न्याय के हित में गर्भावस्था को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है।

    गौरतलब है कि जब मामला 8 सितंबर 2022 को सुनवाई के लिए आया था, तब कोर्ट ने पीड़िता की जांच करने और गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन पर विचार करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया था।

    बोर्ड की रिपोर्ट और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पीड़िता की 23 सप्ताह की गर्भावस्था है, न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति दे दी और निम्नलिखित आदेश पारित कियाः

    ''आगे के आघात और सामाजिक दुखों के पीड़िता को मुक्त करने के लिए हम इसकी अनुमति दे रहे हैं। याचिकाकर्ता को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक सभी आवश्यकताओं से सुसज्जित उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाए। हम आशा और विश्वास करते हैं कि सीएमओ, बहराइच पूरी तरह से वित्तीय प्रबंध की निगरानी करेंगे,जिसमें पीड़ित के परिवार के दो अतिरिक्त सदस्यों के खाने-पीने और रहने का प्रबंध भी शामिल होगा।''

    अदालत ने मेडिकल बोर्ड को गर्भपात से पहले पीड़िता के पिता की आवश्यक सहमति लेने की अनुमति भी दे दी है।

    अदालत ने आगे आदेश दिया है कि,''भ्रूण के ऊतकों को फोरेंसिक विश्लेषण और मुकदमे में सबूत के तौर पर उपयोग करने के लिए संरक्षित किया जाए।'' अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर, 2022 को होगी।

    अप्रैल 2022 में लड़की के साथ बलात्कार किया गया था, हालांकि, डर के कारण, उसने घटना के बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया। इसके बाद, अगस्त 2022 में, उसने आखिरकार अपने माता-पिता को पूरी कहानी सुनाई और इस तरह, एक एफआईआर दर्ज करवाई गई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

    इसके बाद, उसने अपने गृह जिले (बहराइच) के संबंधित अधिकारियों के समक्ष एक अभ्यावेदन दिया, हालांकि, कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई और इस प्रकार, पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट में वर्तमान रिट याचिका दायर करते हुए अपनी बेटी की अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करवाने की अनुमति मांगी।

    शुरुआत में, कोर्ट ने नोट किया कि चूंकि इस संबंध में एक राय व्यक्त करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञता की कमी है, इसलिए, कोर्ट ने 8 सितंबर को केजीएमयू प्रशासन को निम्नलिखित आदेश जारी किया थाः

    ''पीड़िता की केजीएमयू, लखनऊ में जल्द से जल्द जांच की जाए। पीड़िता को तुरंत केजीएमयू, लखनऊ ले जाने की अनुमति दी जाती है, जहां उसे भर्ती किया जाएगा और मेडिकल जांच की जाएगी। रजिस्ट्रार, केजीएमयू, लखनऊ को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता का अस्पताल में भर्ती करवाना सुनिश्चित करें। याचिकाकर्ता के नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा। पीड़िता की जांच करने के बाद मेडिकल रिपोर्ट 14.09.2022 को या उससे पहले इस अदालत के समक्ष रखी जाए। पीड़िता के अभिभावक भरत लाल पीड़िता को केजीएमयू, लखनऊ में 10.09.2022 को पेश करना सुनिश्चित करें। केजीएमयू, लखनऊ द्वारा अनुपालन रिपोर्ट मुख्य स्थायी वकील या केजीएमयू, लखनऊ द्वारा नियुक्त स्थायी वकील के माध्यम से प्रस्तुत की जाए।''

    याचिकाकर्ता की ओर से वकील आशीष कुमार सिंह पेश हुए।

    केस टाइटल - उनके कानूनी अभिभावक भरत लाल के माध्यम से एक्स बनाम यू.पी. राज्य और अन्य, रिट-सी-नंबर-6102/2022

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