इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात जजों की बेंच ने कानपुर बार एसोसिएशन की हड़ताल को गंभीरता से लिया, इसके पदाधिकारियों को कल पेश होने का निर्देश दिया
Avanish Pathak
6 April 2023 4:41 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात जजों की बेंच ने कानपुर बार एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन की लगातार जारी हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए एसोसिएशन के पदाधिकारियों को कल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर, जस्टिस सुनीता अग्रवाल, जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता, जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा, जस्टिस डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी की पूर्ण पीठ ने आदेश में कहा कि वकीलों की हर हड़ताल न्यायिक प्रणाली के लिए अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बनता है, विशेष रूप से वादकारियों के लिए..
अदालत ने निर्देश दिया कि नरेश चंद्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, कानपुर बार एसोसिएशन, अनुराग श्रीवास्तव, महासचिव, कानपुर बार एसोसिएशन, रविंद्र शर्मा, अध्यक्ष, वकील एसोसिएशन, कानपुर नगर और शरद कुमार शुक्ला, महासचिव, लायर्स एसोसिएशन, कानपुर नगर को पुलिस आयुक्त, कानपुर नगर के माध्यम से कल प्रातः 10:00 बजे न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की नोटिस की तामील की जाए।
एक अंतरिम उपाय के रूप में अदालत ने जिले के वकीलों को निर्देश दिया है कि वे अपना काम फिर से शुरू करें और अवमानना के आरोपों को खत्म करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी वकील या पदाधिकारी द्वारा कोई बाधा उत्पन्न की जाती है, तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा।
ज्ञात हो कि कानपुर जिले के वकील जिला जज कानपुर नगर के तबादले की मांग को लेकर लगातार हड़ताल पर हैं।
प्रारंभ में वे केवल जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कानपुर नगर के न्यायालय का बहिष्कार कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने 25 मार्च 2023 से कानपुर न्यायाधीश के सभी न्यायालयों तक अपना बहिष्कार बढ़ा दिया।
प्रशासनिक पक्ष की ओर से कानपुर नगर के मुख्य न्यायाधीश एवं प्रशासनिक न्यायाधीशों ने अलग-अलग तथा कानपुर बार एसोसिएशन, कानपुर नगर के अध्यक्ष एवं महासचिव के साथ संयुक्त रूप से बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया।
उक्त बैठकों में कानपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव ने पूर्व में हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने का आश्वासन दिया था, लेकिन वे अपने आश्वासन से मुकर गए और अब पूरे जिले में हड़ताल करने की धमकी दे रहे हैं।
यह देखते हुए कि वकीलों द्वारा आहूत हड़ताल से पूरे न्यायिक कार्य में बाधा आ रही है, एक पूर्ण पीठ ने आज इस प्रकार अवलोकन किया,
"वर्तमान मामले में, इस न्यायालय द्वारा किए जा रहे गंभीर प्रयासों के बावजूद, वकील अदालत में अपना काम नहीं करने के लिए अड़े हैं और उनके कार्य न्याय के वितरण में बाधा पैदा कर रहे हैं, जो कि न्यायालयों की अवमानना के अलावा और कुछ नहीं है।"
महाधिवक्ता ने आज न्यायालय के समक्ष पेश होकर कहा कि हड़ताल का किसी भी तरह से समर्थन नहीं किया जा सकता है और वकीलों को अदालत में काम करना चाहिए, और यह कि वकीलों द्वारा की गई हड़ताल न केवल अवैध और अनैतिक है, बल्कि इससे न्याय के वितरण में बड़ी बाधा भी आती है।
उनका आगे कहना था कि इस तरह की हड़ताल पेशेवर कदाचार, अनुबंध का उल्लंघन, विश्वास का उल्लंघन और पेशेवर कर्तव्य का उल्लंघन है और इससे अदालत के मूल्यवान समय और करदाताओं की मेहनत की कमाई की बर्बादी होती है और संस्था की छवि को कम।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, पूर्ण पीठ ने बार और वकील संघों के पदाधिकारियों की उपस्थिति की मांग की और जिले के वकीलों को अपना काम फिर से शुरू करने का आह्वान किया।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बार काउंसिल के अध्यक्ष से कोर्ट की सहायता करने और कल सुबह 10:00 बजे कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए भी मदद मांगी है।
न्यायालय ने आगे निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
- महाधिवक्ता इस आदेश की प्रति जिला प्रशासन को भिजवाएं।
- हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल इस आदेश का न केवल कानपुर नगर के वकील समुदाय के बीच, बल्कि मीडिया के माध्यम से भी प्रकाशन सुनिश्चित करें
- जिलाधिकारी एवं पुलिस आयुक्त कानपुर नगर को यह आदेश न्यायालय परिसर के अंदर दोनों बार संघों एवं अन्य प्रमुख स्थानों के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने का निर्देश दिया गया है.