राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने वाले व्यक्ति को मिली सुरक्षा, हाईकोर्ट ने कहा- बहुत प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा

Shahadat

30 Aug 2025 10:36 AM IST

  • राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने वाले व्यक्ति को मिली सुरक्षा, हाईकोर्ट ने कहा- बहुत प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने गुरुवार को भारत सरकार को निर्देश दिया कि वह उस व्यक्ति को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल से निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) तत्काल उपलब्ध कराए, जिसने सांसद प्रियंका वाड्रा और सांसद एवं विपक्ष के नेता राहुल गांधी के विरुद्ध कई मामलों में लगातार धमकियां मिलने का दावा किया था, जिसमें उनकी नागरिकता पर सवाल उठाना भी शामिल है।

    जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश एस विग्नेश शिशिर की सुनवाई के दौरान पारित किया, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कर्नाटक राज्य शाखा के सदस्य होने का दावा करते हैं।

    केंद्र की ओर से डिप्टी-सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे ने दलील दी कि चूंकि याचिकाकर्ता को स्पष्ट धमकियां मिली हैं, इसलिए न्यायालय उन्हें कम से कम बिना किसी भय के अपना मुकदमा चलाने के लिए सुरक्षा प्रदान करने हेतु उचित आदेश पारित कर सकता है।

    उल्लेखनीय है, शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर कीं।

    मूलतः, शिशिर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अधिकारियों को आदेश देने की मांग की कि उन्हें अखिल भारतीय स्तर पर वाई-प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाए, जिसमें सशस्त्र निजी सुरक्षा गार्ड (पीएसओ), एस्कॉर्ट सुरक्षा और चौबीसों घंटे निगरानी शामिल हो।

    उन्होंने खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के सीनियर अधिकारियों वाली एक उच्च-स्तरीय खतरा आकलन समिति के गठन की भी मांग की।

    उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ मामलों की पैरवी और शिकायतें कर रहे हैं, इसलिए उन्हें लगातार धमकियां और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केंद्रीय सुरक्षा की मांग करते हुए 11 जुलाई, 2024 और 20 जुलाई, 2025 को कई अभ्यावेदन दायर किए, जिनका कोई जवाब नहीं मिला है।

    उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जून, 2024 में CBI की विशेष अपराध शाखा, लखनऊ में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसे बाद में भ्रष्टाचार निरोधक-II शाखा, नई दिल्ली को स्थानांतरित कर दिया गया। इसमें उन्होंने दावा किया कि गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और चुनाव लड़ते समय उन्होंने इस तथ्य को छिपाया था।

    उन्होंने CBI के समक्ष दस्तावेजी साक्ष्य, तस्वीरें, वीडियो और यूनाइटेड किंगडम सरकार के साथ पत्राचार प्रस्तुत करने का भी दावा किया, जिसमें 2003 में यूके में निगमित एक कंपनी मेसर्स बैकॉप्स लिमिटेड का विवरण भी शामिल है, जहां राहुल गांधी ने कथित तौर पर अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश घोषित की थी।

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने वायनाड उपचुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई। वर्तमान में वर्तमान सांसद के रूप में उनके खिलाफ क्वो वारंटो रिट तैयार कर रहे हैं।

    उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने 26 जुलाई, 2024 को रायबरेली के पुलिस अधीक्षक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों और पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 12 के तहत राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई।

    इस शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस, रायबरेली ने उन्हें 19 अगस्त, 2025 को एक नोटिस जारी किया, जिसमें राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता से संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए उपस्थित होने को कहा गया।

    इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने दावा किया कि चूंकि वे इन सभी मामलों में व्यक्तिगत रूप से पैरवी कर रहे हैं और कई जांच एजेंसियों के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं। इसलिए उन्हें लगातार जान का खतरा, हमलों और दबाव का डर सता रहा है, इसलिए उन्होंने सुरक्षा कवर की मांग की।

    केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी-सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता को मिल रही धमकियों को देखते हुए सुरक्षा के लिए एक उचित आदेश पारित किया जा सकता है ताकि वे बिना किसी भय के अपने मामलों की पैरवी कर सकें।

    अदालत की टिप्पणियां

    याचिकाकर्ता और भारत सरकार का पक्ष सुनने के बाद पीठ ने निम्नलिखित निर्देश दिए:

    "हम, एक अंतरिम उपाय के रूप में प्रतिवादी नंबर 1 को याचिकाकर्ता को तत्काल चौबीसों घंटे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) की सुविधा प्रदान करने का निर्देश देते हैं।"

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता 'एक बहुत शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ' मामलों की पैरवी कर रहा है और जांच एजेंसियों के समक्ष पेश होने के दौरान 'लगातार धमकियों' का सामना कर रहा है। पीठ ने प्रथम दृष्टया पाया कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है।

    न्यायालय ने भारत संघ (प्रतिवादी नंबर 1) को तत्काल सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर, 2025 के लिए सूचीबद्ध कर दी।

    इसने प्रतिवादियों को एक प्रति-शपथपत्र दाखिल करने का भी निर्देश दिया, जिसमें याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर लिए गए निर्णय को संलग्न किया जाए, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजा गया था।

    Case title - S Vignesh Shishir vs. Union Of India Thru. Its Secy. Ministry Of Home Affairs New Delhi And 10 Others

    Next Story