इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय जांच में शामिल जांच अधिकारियों, अनुशासनात्मक अधिकारियों को अनिवार्य प्रशिक्षण देने का आदेश दिया

Avanish Pathak

14 May 2022 5:45 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभागीय जांच में शामिल जांच अधिकारियों, अनुशासनात्मक अधिकारियों को अनिवार्य प्रशिक्षण देने का आदेश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निदेशक, जेटीआरआई को विभागीय पूछताछ में उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन और अपील) नियम, 1999 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए जांच अधिकारियों और अनुशासनात्मक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एक उपयुक्त कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस विवेक चौधरी की खंडपीठ प्रकाश चंद्र अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने खुद के खिलाफ पारित सजा आदेश को चुनौती दी गई थी। उन्हें सेंसर एंट्री की सजा दी गई थी।

    दरअसल उन्हें अनियमित जांच प्रक्रिया के बाद सेक्‍शन ऑफ‌िसर पद पर पदावनत कर दिया गया।

    अन्य बातों के साथ-साथ इस आधार पर चुनौती दी गई कि जांच अधिकारी ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन और अपील) नियम, 1999 के नियम 7 के उप नियम (vii) के आदेश के अनुसार तिथि, समय और स्थान निर्धारित करके उचित मौखिक जांच नहीं की।

    न्यायालय के समक्ष अपर मुख्य सचिव मामले के रिकॉर्ड से यह नहीं दिखा सके कि जांच करने में नियम 1999 के नियम -7 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया था और साक्ष्य के लिए कोई तारीख, समय और स्थान तय किया गया था या जिस साक्ष्य या पर भरोसा किया गया था/सम्मन याचिकाकर्ता को प्रदान किया गया था।

    इस पृष्ठभूमि में अदालत ने कहा,

    "हालांकि मामला सरल है क्योंकि इसे वापस भेजा जाना है, लेकिन, इस न्यायालय के समक्ष दायर बड़ी संख्या में मामलों में यह पाया गया है कि बड़ी सजा के संबंध में जांच में 1999 के नियमों के नियम -7 का उल्लंघन किया जाता है। वर्तमान मामला उसी का एक ज्वलंत उदाहरण है। जांच अधिकारी एक विशेष सचिव है और दंड प्राधिकारी एक प्रमुख सचिव है। फिर भी जांच अधिकारी द्वारा जांच के संचालन में एक स्पष्ट त्रुटि की जाती है ।"

    इसके अलावा, अदालत ने कहा कि बड़ी संख्या में मामलों में, रिमांड के बाद, जब जांच की जाती है, तो वही प्रक्रियात्मक त्रुटि फिर से की जाती है और नियम -7 के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना फिर से जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।

    इसे ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक जांच अधिकारी, जो वर्तमान में जांच कर रहा है या भविष्य में कोई जांच करने के लिए नियुक्त किया गया हो, उसे जांच करने के तरीके और प्रक्रिया के संबंध में उचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए-

    - निदेशक, जेटीआरआई., लखनऊ जांच अधिकारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ अनुशासनात्मक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एक उपयुक्त कार्यक्रम तैयार करें ताकि ऐसी गलतियों की पुनरावृत्ति न हो।

    - जेटीआरआई प्रशिक्षण सत्र पूरा करने के बाद प्रत्येक अधिकारी को एक उपयुक्त पहचान योग्य प्रमाण पत्र भी जारी करेगा।

    - उक्त प्रशिक्षण सत्र/प्रमाणपत्रों का प्रासंगिक विवरण संबंधित अधिकारी द्वारा उनके द्वारा प्रस्तुत प्रत्येक जांच रिपोर्ट या पारित दंड आदेश में संदर्भित किया जाएगा।

    - राज्य में वर्तमान में कोई भी जांच कर रहे सभी अधिकारी बिना किसी देरी के प्रशिक्षण में शामिल होंगे और ऐसे जांच अधिकारी अपना प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही अपनी पूछताछ समाप्त करेंगे।

    - दंड देने वाला कोई भी आदेश पारित करने से पहले आवश्यक प्रशिक्षण से भी गुजरेगा और उनके सत्र/प्रमाण पत्र को भी देखेगा।

    - भविष्य में किसी भी जांच अधिकारी को विभागीय जांच के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा, जिसने जेटीआरआई से प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है।

    - जेटीआरआई. में उक्त प्रशिक्षण का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

    केस शीर्षक - प्रकाश चंद्र अग्रवाल बनाम यूपी राज्य अतिरिक्तमुख्य सचिव/प्रधान सचिव गृह विभाग होम यूपी के माध्यम से और अन्य।

    केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 241

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