इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 साल की यौन उत्पीड़न पीड़िता के मामले में 'जुनैद केस' दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया

LiveLaw News Network

18 Dec 2021 7:14 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 साल की यौन उत्पीड़न पीड़िता के मामले में जुनैद केस दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को जिला पीलीभीत की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। अध्यक्ष जुनैद बनाम यू.पी. राज्य और अन्य मामले में हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहे है।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि जुनैद के मामले में हाईकोर्ट ने अन्य बातों के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम, 2012 के तहत जमानत आवेदनों के निपटान के लिए निर्देश और समयसीमा जारी की थी।

    कोर्ट ने पुलिस और बाल कल्याण समिति को भी निर्देश जारी किया कि आरोपी की जमानत अर्जी की सूचना मिलने पर पीड़ित पक्ष को सूचित करें। उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी दें और कानूनी सेवाएं प्रदान करें।

    न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोपी शिवानी मिश्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया था। खंडपीठ ने कहा कि जुनैद मामले में अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया गया। उक्त मामले में पॉक्सो अधिनियम के तहत बाल पीड़िता को सुरक्षा की गारंटी दी गई थी। वर्तमान मामले में पीड़ितों को सुरक्षा की गारंदी प्रदान नहीं की गई।

    वर्तमान मामले में पीड़िता की उम्र 12 साल है। उसका जमानत याचिकाकर्ता (शिवानी मिश्रा) ने कथित तौर पर उस समय यौन उत्पीड़न किया जब वह होली मना रही थी। आवेदक ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर पीड़िता को नहलाया और उसे एक साड़ी पहनाई।

    जमानत आवेदक ने उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उसे एक मंदिर में ले गया। उसकी इच्छा के विरुद्ध आवेदक ने उसके सिर पर सिंदूर लगाने के लिए नितिन मिश्रा से सहयोग लिया और उसके बाद नितिन मिश्रा ने कुछ समारोह किए गए।

    इसके बाद, उसे एक नशीला पदार्थ दिया गया। इससे वह अपने होश खो बैठी। इसके बाद नितिन मिश्रा ने उसका यौन उत्पीड़न किया।

    अदालत ने मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और आवेदक को जमानत देने से इनकार करते हुए राज्य के अधिकारियों की ओर से खामियों पर ध्यान दिया।

    अदालत ने कहा:

    "पीड़ित निरक्षर है और जाहिर तौर पर एक गरीब पृष्ठभूमि से आती है। विधायिका ने पीड़ितों के ऐसे वर्ग को सुरक्षा प्रदान की है। पीड़ित को पूर्वोक्त सुरक्षा से वंचित करके राज्य के अधिकारियों विशेष रूप से बाल कल्याण समिति ने उल्लंघनीय तरीके से काम किया है।"

    इसे देखते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार को जिला पीलीभीत की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के विरुद्ध कार्यवाही करने का निर्देश दिया। साथ ही एक माह की अवधि में न्यायालय के महापंजीयक के समक्ष अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने को कहा।

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने भी जुनैद मामले में जारी निर्देशों का पूर्ण अनुपालन नहीं किया है, इसलिए कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक, यू.पी. लखनऊ को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए और न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष एक हलफनामा दायर किया जाए।

    केस का शीर्षक - शिवानी मिश्रा बनाम यूपी राज्य और अन्य

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