इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपस्थिति में कमी के कारण परीक्षा देने से वंचित मैनेजमेंट स्टूडेंट अंतरिम राहत दी

Shahadat

16 Nov 2023 8:27 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपस्थिति में कमी के कारण परीक्षा देने से वंचित मैनेजमेंट स्टूडेंट अंतरिम राहत दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिवाली की छुट्टियों के दौरान आयोजित विशेष सुनवाई में बुधवार (15 नवंबर) को मैनेजमेंट स्टूडेंट को एमिटी यूनिवर्सिटी में गुरुवार (16 नवंबर) को होने वाली पूरक परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी।

    उक्त स्टूडेंट का मामला यह था कि उपस्थिति कम होने के कारण यूनिवर्सिटी ने उसे परीक्षा में बैठाने से इनकार कर दिया था।

    चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने बुधवार को मामले को उठाने के लिए रजिस्ट्री के समक्ष तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद मामले को उठाया। इसे दोपहर 3:30 बजे उनके आवास पर लिया गया और सुना गया।

    अपनी रिट याचिका में याचिकाकर्ता-स्टूडेंट (सान्या यादव) ने शिकायत की कि यद्यपि उसने एमिटी यूनिवर्सिटी में एमबीए (मीडिया मैनेजमेंट) कोर्स में मार्केटिंग मैनेजमेंट की सभी कक्षाओं में भाग लिया था। हालांकि, तकनीकी खामी के कारण पोर्टल पर उसकी उपस्थिति अपर्याप्त दिखाई गई, जिस कारण उसे उक्त विषय की पूरक परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जो गुरुवार (16 नवंबर) को दोपहर 2:00 बजे होने वाली है।

    चीफ जस्टिस की पीठ के समक्ष यह दृढ़ता से तर्क दिया गया कि यदि याचिकाकर्ता-स्टूडेंट को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई तो वह अपने छह मूल्यवान महीने खो देगी। आगे आग्रह किया गया कि उसे वर्तमान रिट याचिका के परिणाम के अधीन पूरक परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है और यदि याचिकाकर्ता असफल होती है तो वह यूनिवर्सिटी को भारी लागत का भुगतान करने का वचन देती है।

    दूसरी ओर, एमिटी यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील ने कहा कि इतनी देरी से प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जा सकता।

    पक्षकारों के वकीलों को सुनने और रिकॉर्ड को देखने और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा कि मामला स्टूडेंट से संबंधित है, जहां प्रत्येक परीक्षा महत्वपूर्ण है। इसलिए खंडपीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को पूरक परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए।

    हालांकि, कोर्ट ने आगे कहा कि उसका परिणाम कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना घोषित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता का बयान गलत पाए जाने की स्थिति में उसे यूनिवर्सिटी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

    इसे देखते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले को 14 दिसंबर, 2023 को उचित पीठ के समक्ष नए सिरे से सूचीबद्ध किया जाए।

    केस टाइटल- सान्या यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य

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