गर्भवती पीड़िता की देखभाल के लिए 'अंतरधार्मिक संबंध' में POCSO आरोपी को मिली अंतरिम जमानत

Shahadat

3 July 2025 1:02 PM IST

  • गर्भवती पीड़िता की देखभाल के लिए अंतरधार्मिक संबंध में POCSO आरोपी को मिली अंतरिम जमानत

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को POCSO Act और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आरोपी व्यक्ति को दो महीने की अंतरिम जमानत दी। आरोपी को जमानत देते हुए कोर्ट ने उसे नाबालिग पीड़िता की देखभाल करने का निर्देश दिया गया, जो एक अलग धर्म से ताल्लुक रखती है, पांच महीने की गर्भवती है और कथित तौर पर उसके साथ संबंध में है।

    जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने यह आदेश पारित किया, जिन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायालय आवेदक के 'आचरण' और पीड़िता और उसकी मां की संतुष्टि के आधार पर अगली तारीख (3 सितंबर) पर अंतरिम जमानत बढ़ाने या इसे पूर्ण करने पर विचार करेगा।

    न्यायालय ने अपने आदेश में दर्ज किया,

    "आवेदक और पीड़िता अपनी मां (शिकायतकर्ता) के साथ 03 सितंबर, 2025 को न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे, जिससे न्यायालय को अवगत कराया जा सके कि क्या वर्तमान आवेदक अभियोक्ता की उचित देखभाल कर रहा है और यह भी कि क्या पीड़िता आवेदक के प्रयासों और समर्थन से संतुष्ट है।"

    न्यायालय ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि दोनों पक्ष कानूनी रूप से स्वीकार्य आयु प्राप्त करने के बाद विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के इच्छुक हैं।

    तदनुसार, न्यायालय ने निर्देश दिया:

    "जैसे ही दोनों पक्ष विवाह योग्य आयु प्राप्त कर लेते हैं, वे विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह के लिए आवेदन करेंगे और विवाह पंजीकरण प्राधिकरण के समक्ष अपने विवाह को पंजीकृत कराएंगे।"

    इस बीच आवेदक को पीड़िता की उचित देखभाल करने और उसे गर्भावस्था की स्थिति में आवश्यक सभी आवश्यक मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया गया।

    संक्षेप में कहें तो आवेदक (सत्यम सोनकर उर्फ ​​बड़काऊ), जिसकी आयु 20 वर्ष और 8 महीने है, वर्तमान मामले में 6 मार्च, 2025 से हिरासत में है। उस पर BNS की धारा 137(2), 87, 64(1) और POCSO Act की धारा 5जे(11)/6 के तहत आरोप हैं।

    अदालत के समक्ष आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक और पीड़िता ने पहले ही अपनी मर्जी से विवाह किया था। हालांकि यह "सामाजिक विवाह" नहीं था, क्योंकि दोनों कानूनी रूप से स्वीकार्य विवाह योग्य आयु से कम हैं, लड़की की आयु लगभग 17 वर्ष है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि इस संबंध के कारण गर्भधारण हुआ था, लेकिन आवेदक विशेष विवाह अधिनियम के तहत औपचारिक रूप से विवाह करने और अपनी पत्नी के रूप में पीड़िता की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार था।

    पीड़िता की शिकायतकर्ता/माँ के वकील ने दलील का समर्थन करते हुए अदालत को सूचित किया कि आवेदक और पीड़िता के बीच प्रस्तावित विवाह पर परिवार को कोई आपत्ति नहीं है।

    इस पृष्ठभूमि में पीड़िता और उसके अजन्मे बच्चे के हितों के साथ-साथ दोनों पक्षों की शादी करने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि आवेदक को दो महीने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है, जिससे वह जेल से बाहर आकर पीड़िता की देखभाल कर सके। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि जमानत की अवधि आवेदक के आचरण और इस अवधि के दौरान अभियोक्ता के कल्याण पर निर्भर करेगी। अगली सुनवाई 3 सितंबर को निर्धारित की गई।

    Case title - Satyam Sonkar @ Badkau vs. State Of U.P. Thru. Prin. Secy. Home Deptt. Lko. And 3 Others

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