दुष्‍कर्मः पीड़िता आरोपों से पलटी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी, पीड़िता को दिए मुआवजे की वापसी का आदेश दिया

Avanish Pathak

5 Jun 2022 7:09 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के एक आरोपी को इस तथ्य के मद्देनजर जमानत दी थी कि पीड़िता ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया था और उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया था।

    जस्टिस संजय कुमार सिंह की खंडपीठ ने निचली अदालत को उसे भुगतान किए गए मुआवजे की वापसी के लिए कदम उठाने और मामले में धारा 344 सीआरपीसी [झूठे सबूत देने के लिए ट्रायल के लिए समरी प्रोसीजर] का अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश जारी किया।

    कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा,

    "सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए, ट्रायल कोर्ट के लिए उपयुक्त मामलों में धारा 344 सीआरपीसी का सहारा लेने का समय आ गया है। वर्तमान मामले में चूंकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पीड़िता मुकर गई है और अभियोजन पक्ष को पूरी तरह से नकार दिया है, इसलिए वह सरकार द्वारा भुगतान किए गए किसी भी मुआवजे के लाभ की हकदार नहीं है।"

    जमानत याचिकाकर्ता (हरिओम शर्मा) पर पीड़िता के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा था और उसे 12 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान को देखते हुए उसकी पहली जमानत अर्जी 13 अगस्त 2021 को खारिज कर दी गई थी।

    हालांकि, मुकदमे के दौरान, उसने अभियोजन पक्ष के मामले को स्वीकार नहीं किया था और उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया था। उसने यह भी कहा कि उसने धारा 164 सीआरपीसी के तहत अपने बयान में बलात्कार का आरोप पति और पुलिस के कहने पर लगाया था।

    इसे देखते हुए, आरोपी ने तत्काल दूसरी जमानत याचिका दायर करते हुए तर्क दिया कि हाईकोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा सह-अभियुक्तों को जमानत दे दी गई है और उनका मामला बेहतर स्तर पर है।

    इस पृष्ठभूमि में अदालत ने उसे जमानत देने का फैसला किया, हालांकि, जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि आजकल झूठ बोलने की प्रथा बढ़ रही है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा मामले में आवेदक के खिलाफ बलात्कार के आरोप के कारण उसे गिरफ्तार किया गया था। बलात्कार जैसे घृण‌ित अपराध के आरोप के कारण उसकी बदनामी हुई। इसके अलावा, इस बात पर जोर देते हुए कि ऐसे मामलों में शिकायतकर्ताओं को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

    केस टाइटलः हरिओम शर्मा बनाम यूपी राज्य [CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. - 12379 of 2022]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 276

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