इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत चित्रण का हवाला देते हुए प्रयागराज में भगवान राम के साथ राजा निषादराज की मूर्ति पर आपत्ति जताने वाली जनहित याचिका खारिज की
Shahadat
13 Dec 2023 11:08 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के सोरांव में श्रृंगवेरपुर धाम में स्थित राजा निषाद राज और भगवान श्रीराम की मूर्ति में बदलाव की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी। याचिका में राजा निषादराज को राजा के अनुरूप चित्रित करने की मांग की गई थी।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस डोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि जनहित याचिका के मुद्दे पर वर्तमान कार्यवाही में फैसला नहीं किया जा सकता, क्योंकि मामला कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
कोर्ट ने आगे कहा कि वह इस बात से संतुष्ट नहीं है कि याचिकाकर्ता या उसके समुदाय के सदस्यों के किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया गया। जनहित याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने सलाह के अनुसार ऐसे अन्य उपाय का लाभ उठाने की स्वतंत्रता दी।
संजय कुमार निषाद द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया कि मूर्ति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस में राजा निषाद राज के वर्णन के अनुसार नहीं है।
संदर्भ के लिए रामचरितमानस के अनुसार, जब भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास पर निकलने से पहले एक गांव में एक रात बिताते हैं तो उन्हें गंगा पार करने के लिए नाविकों की अनिच्छा का सामना करना पड़ा।
इस समय राजा निषादराज घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने प्रस्ताव रखा कि यदि भगवान राम उन्हें अपने पैर धोने की अनुमति दें तो वे उन्हें ले जाएंगे। भगवान राम सहमत हो गए और निषादराज ने गंगा के पानी से राम के पैर धोए, और पवित्र जल पीकर अपनी गहरी भक्ति का प्रदर्शन किया।
रिट याचिका में आगे कहा गया कि प्रतिमा गले लगाने की स्थिति में है और याचिकाकर्ता और उनके समुदाय के सदस्य चाहते हैं कि प्रतिमा में आवश्यक बदलाव किए जाएं अन्यथा, यह पूजा करने के उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
केस टाइटल- संजय कुमार निषाद बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य [सार्वजनिक हित याचिका (पीआईएल) नंबर - 2805/2023]
ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें