"महिला पुलिस स्टेशनों को कंगारू अदालतों में तब्दील कर दिया गया है": मद्रास हाईकोर्ट ने अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों के उल्लंघन में गिरफ्तारी पर नाराज़गी जताई

Avanish Pathak

30 Jun 2023 1:19 PM GMT

  • महिला पुलिस स्टेशनों को कंगारू अदालतों में तब्दील कर दिया गया है: मद्रास हाईकोर्ट ने अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों के उल्लंघन में गिरफ्तारी पर नाराज़गी जताई

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य भर में सभी महिला पुलिस स्टेशनों के कामकाज के तरीके की आलोचना की। अदालत ने कहा कि तमिलनाडु में पुलिस थाने भ्रष्टाचार के अड्डे बनकर रह गए हैं, जहां अधिकारी शक्तिशाली पार्टियों का पक्ष लेते हैं। अदालत ने अफसोस जताया कि ये संस्थाएं जो समाज में योगदान देने के लिए शुरू की गई थीं, अब बेशर्म "कंगारू अदालतें" बनकर रह गई हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    “लेकिन वास्तव में, आज जैसा कि अर्नेश कुमार के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने खेद व्यक्त किया है, तमिलनाडु में सभी महिला पुलिस थाने भ्रष्टाचार के थाने बनकर रह गए हैं और कई बार पहले गिरफ्तारी और फिर आगे बढ़ने का घृणित रवैया अपनाया जाता है। बाकी वैवाहिक विवादों में आने वाले पक्षों के धन, बाहुबल और शक्ति के आधार पर दोनों पक्षों को परेशान करना चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। यह देखना निराशाजनक है कि जिस संस्था को समाज के प्रति योगदान करने की बड़ी उम्मीद के साथ शुरू किया गया था, उसने खुद को बेशर्म कंगारू अदालतों में बदल दिया है।”

    जस्टिस आर सुब्रमण्यन और जस्टिस विक्टोरिया गौरी ने के जनार्दन द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर ये टिप्पणियां कीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ऑल वूमेन पुलिस स्टेशन (थिलागर थिडल), की इंस्पेक्टर विमला ने अर्नेश बनाम बिहार राज्य और ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना उन्हें गिरफ्तार किया था और इस प्रकार उन्होंने अदालत की अवमानना की है।

    यह प्रस्तुत किया गया कि जनार्दन की पत्नी ने उक्त पुलिस स्टेशन में जनार्दन और उसके परिवार पर घरेलू हिंसा, दहेज की मांग और दुर्व्यवहार करने और इस प्रकार धारा 498 ए, 406, 417, 420, 506 (1) आईपीसी और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम, 2002 की धारा 4 के तहत अपराध करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की थी।

    जनार्दन ने अदालत को सूचित किया कि शिकायत 23 जून, 2022 को दायर की गई थी और अगले ही दिन विमला ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस दिया और कार्रवाई की प्रतीक्षा किए बिना उसे गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक पूछताछ और उसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

    हालांकि विमला ने ऐसे सभी आरोपों से इनकार किया, लेकिन अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, गिरफ्तारी "बिजली की गति" से की गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी और उसके बाद की सभी प्रक्रियाएं अर्नेश कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए विशिष्ट निर्देशों को दरकिनार करते हुए की गईं। अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि क्षेत्राधिकारी मजिस्ट्रेट ने लापरवाही से हिरासत को कैसे अधिकृत कर दिया। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि इंस्पेक्टर ने यथाशीघ्र बिना शर्त माफी मांगी थी।

    कोर्ट ने कहा,

    “लेकिन इस मामले में, हमारा मानना है कि, हालांकि अवमाननाकर्ता पुलिस ने जल्दबाजी में कार्रवाई की है, एक बार जब इस अदालत ने उसे नोटिस जारी किया, तो बिना किसी देरी के, उसने स्वेच्छा से और सहजता से अदालत में दायर अपने जवाबी हलफनामे में बिना शर्त माफी मांगी थी।"

    अवमानना कार्यवाही के संबंध में, अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 215 के साथ-साथ अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 10 और 11 को पढ़ने से पता चलेगा कि हाईकोर्ट को अपनी अवमानना या अपने अधीन अदालतों की अवमानना के लिए दंडित करने का अधिकार है। इस प्रकार, हाईकोर्ट के पास अपने से वरिष्ठ न्यायालयों की अवमानना के लिए दंडित करने की शक्ति नहीं है।

    हालांकि, अदालत ने पुलिस द्वारा की गई अनैतिक गिरफ्तारी पर नाराजगी व्यक्त की और इंस्पेक्टर को एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में इस तरह के घृणित आचरण को नहीं दोहराने की चेतावनी दी।

    केस टाइटलः के जनार्दन बनाम मिसेज विमला

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (Mad) 179

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