उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश के बाद पति ने कुछ ही घंटों में पत्नी, बेटी का 8 महीने का भरण-पोषण बकाया चुकाया
Avanish Pathak
1 Sept 2023 9:00 PM IST
उड़ीसा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक पति को पत्नी और नाबालिग बेटी को आठ महीने की बकाया भरण-पोषण राशि का भुगतान करने का आदेश दिया और ऐसा न करने पर उसे कानून की प्रक्रिया के अनुसार हिरासत में लेने की चेतावनी दी।
जस्टिस संगम कुमार साहू की सिंगल बेंच ने एक आपराधिक विविध याचिका पर ये फैसला दिया। मामले में याचिकाकर्ता पत्नी और बेटी हैं।
फैमिली कोर्ट जज-सेकंड, कटक की अदालत ने पांच जनवरी 2023 को विपरीत पक्ष यानि पति को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पहली और दूसरी याचिकाकर्ताओं को क्रमशः 4,000 रुपये और 3,000 रुपये का अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया था। साथ ही निर्देश दिया था कि आदेश की तारीख से मामले के निपटारे तक उन्हें राशि का भुगतान किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि इसने विपरीत पक्ष को 'आवेदन की तारीख' से नहीं बल्कि केवल 'आदेश की तारीख' से भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश दिया था।
उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह का आदेश रजनेश बनाम नेहा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
जब मामला हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया तो उन्होंने पूछा कि क्या याचिकाकर्ताओं को किसी भरण-पोषण राशि का भुगतान किया गया है?
वकील ने नकारात्मक जवाब दिया। जिसके बाद 18 अगस्त 2023 को न्यायालय ने मोहना पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक को पति को उसके समक्ष पेश करने का आदेश दिया था।
आईआईसी ने अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दायर की जिसमें बताया गया कि पुलिस टीम ने पति के घर का दौरा किया था, लेकिन वह वहां नहीं मिला। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि पति वर्तमान में मुंबई में रह रहा है।
शुक्रवार को सुनवाई के पहले घंटे में कोर्ट ने पति की ओर से पेश वकील से पूछा कि उनके मुवक्किल ने अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के आठ महीने बीत जाने के बावजूद अपनी पत्नी और बेटी को एक पैसा भी क्यों नहीं दिया?
वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि उक्त राशि का भुगतान किया जाएगा।
हालांकि, दलील से असंतुष्ट होकर न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि वह लागू आदेश का पालन नहीं करता है तो वह विपरीत पक्ष यानि पति को हिरासत में लेने के लिए बाध्य होगी।
कोर्ट ने विपरीत पक्ष के वकील से यह भी कहा कि वह अपने मुवक्किल को याचिकाकर्ताओं को 56,000 रुपये की बकाया राशि का तुरंत भुगतान करने के लिए सूचित करें।
इसके बाद करीब दो घंटे बाद मामले को दोबारा सुनते हुए जस्टिस साहू ने पूछा कि क्या विरोधी पक्ष ने इस बीच राशि का भुगतान किया है, जिस पर उनके वकील ने सकारात्मक उत्तर दिया। पूछे जाने पर, पहली याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि उसके बैंक खाते में राशि जमा कर दी गई है।