6 दिन हिरासत में रहने के बाद महिला वकील को 'एयर गन' से धमकाने के आरोपी को मिली अंतरिम ज़मानत
Shahadat
12 Nov 2025 9:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे व्यक्ति को अंतरिम ज़मानत दी, जिसने आयोग के निरीक्षण के दौरान कोर्ट कमिश्नर नियुक्त महिला वकील को कथित तौर पर 'एयर गन' से धमकाया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने आरोपी (याचिकाकर्ता-नितिन बंसल) की ओर से सीनियर एडवोकेट शादान फरासत की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक महीने की जेल की सज़ा सुनाई, जिसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका पर विचार करने से पहले 6 नवंबर को जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा था। अदालत ने उसके आचरण पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उसे जेल में रहना चाहिए।
जस्टिस कांत ने यहां तक कहा कि स्थानीय आयुक्त ने जिस तरह की शिकायत दर्ज कराई, उसमें उन्होंने उदारता दिखाई, क्योंकि वह और भी गंभीर शिकायत कर सकती थीं। जजों ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने कथित आचरण पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में किया था। अगर वह वहां नहीं होते, तो स्थानीय आयुक्त के साथ कुछ अप्रिय (जैसे शारीरिक हमला) हो सकता था।
फरासत ने बुधवार को खंडपीठ को सूचित किया कि याचिकाकर्ता ने 6 नवंबर को जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और 6 दिनों से हिरासत में है। उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना शर्त माफ़ी मांगी और उसकी रिहाई पर विचार करने की प्रार्थना की।
उनकी बात सुनते हुए जस्टिस बागची ने टिप्पणी की,
"एयर गन को अब शस्त्र अधिनियम के तहत ज़ब्त किया जाना चाहिए"।
हालांकि, फरासत ने जवाब दिया कि एयर गन तकनीकी रूप से इस अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती हैं, क्योंकि इसके लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है।
याचिका पर नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने निर्देश दिया,
"इस बीच हम इस मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना उचित समझते हैं और निम्नलिखित अंतरिम निर्देश जारी करते हैं:
- याचिकाकर्ता को जेल अधिकारियों की संतुष्टि के अनुसार ज़मानत बांड जमा करने की शर्त पर अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।
- याचिकाकर्ता के ज़मानत बांड इस शर्त के अधीन हो सकते हैं कि वह रिहाई की तारीख से 2 सप्ताह के भीतर दिल्ली हाईकोर्ट वकील कल्याण कोष में 1 लाख रुपये का प्रतिपूरक जुर्माना जमा करेगा।"
खंडपीठ ने आगे कहा,
"यह स्पष्ट किया जाता है कि 1 लाख रुपये की प्रतिपूरक लागत को न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत जुर्माना नहीं माना जाएगा। यदि प्रतिपूरक लागत जमा नहीं की जाती है तो अंतरिम ज़मानत का आदेश रद्द माना जाएगा।"
Case Title: NITIN BANSAL Versus THE STATE OF DELHI, SLP(Crl) No. 17468/2025

