अधिवक्ता संरक्षण विधेयकः बीसीआई ने बार काउंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे

LiveLaw News Network

2 July 2021 1:50 PM GMT

  • अधिवक्ता संरक्षण विधेयकः बीसीआई ने बार काउंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 9 जुलाई को या उससे पहले बार काउंसिल, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी हितधारकों से 'एडवोकेट्स प्रोटेक्शन बिल' के मसौदे पर सुझाव मांगे हैं।

    वकीलों और उनके परिजनों पर हाल के हमलों को ध्यान में रखते हुए "एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट" का मसौदा तैयार करने के लिए बनी 7 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद यह निर्णय आया है। उक्त कानून का मकसद वकीलों को अपने कर्तव्यों को पूरा करने के ‌लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

    बीसीआई की ओर से दो जुलाई को जारी प्रेस विज्ञप्ति इस प्रकार है-

    "बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह घोषणा करना चाहती है कि 10.06.2021 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्णय के अनुसार, जिसमें अधिवक्ता संरक्षण विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए एक 7-सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, समिति ने आज अपनी रिपोर्ट परिषद को प्रस्तुत की है। और काउंसिल ने इसे सभी बार काउंसिल, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और देश के अन्य सभी बार में प्रसारित करने का निर्णय लिया है। सभी हितधारकों से अनुरोध किया गया है कि वे मसौदे का अध्ययन करें और अपने इनपुट, यदि कोई हो, प्रदान करें। , अनुभागवार, आज से एक सप्ताह के भीतर यानि 9 जुलाई, 2021 तक/उससे पहले ईमेल आईडी advprotectionbill.bci@gmail.com पर पर इनुपट भेजें।"

    10 जून की पिछली बैठक में, परिषद ने उस घटना पर चर्चा की जिसमें जयपुर के एक वकील, अधिवक्ता श्री राम शर्मा और उनकी पत्नी पर हमला किया गया, जिसमें वे घायल हो गए। इसे देखते हुए हाल ही में इसी तरह की अन्य घटनाओं पर भी परिषद ने चर्चा की, जिसमें तेलंगाना स्थित वकील और उनकी पत्नी पर हमला शामिल है।

    परिषद के अनुसार, अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम कानूनी बिरादरी के सदस्यों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करेगा ताकि वे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता किए बिना, निडर होकर अदालत के अधिकारियों के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।

    समिति में निम्नलिखित सदस्य शामिल थे:

    1. श्री एस. प्रभाकरण, सीनियर एडवोकेट, वाइस-चेयरमैन, बार काउंसिल ऑफ इंडिया।

    2. श्री देवी प्रसाद ढल, वरिष्ठ अधिवक्ता, कार्यकारी अध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट।

    3. श्री सुरेश चंद्र श्रीमाली, सह-अध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया।

    4. श्री शैलेंद्र दुबे, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ इंडिया।

    5. श्री ए. रामी रेड्डी, कार्यकारी उपाध्यक्ष, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट।

    6. श्री श्रीनाथ त्रिपाठी, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ इंडिया।

    7. श्री प्रशांत कुमार सिंह, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ इंडिया।

    प्रेस‌ विज्ञप्ति में कहा गया है, "अधिवक्ता बिरादरी वस्तुतः पुलिस और न्यायपालिका के समान न्याय वितरण प्रणाली के आवश्यक अंगों में से एक के रूप में कार्य कर रही है और जबकि पुलिस और न्यायपालिका के पास सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और यहां तक ​​कि विशेषाधिकार भी हैं; वकील मुकदमे के दो पक्षों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी फिर भी उन्हें असामाजिक तत्वों की नापाक गतिविधियों के खिलाफ उचित संरक्षण नहीं दिया जाता है।"

    रिपोर्ट पर आगे चर्चा करते हुए बीसीआई ने कहा है, "समिति ने शारीरिक सुरक्षा, अवैध गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ संरक्षण के साथ ही सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता पर भी विचार किया है......। समिति ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखा है "अधिवक्ता संरक्षण विधेयक" का मसौदा तैयार करने का प्रयास किया है।

    विधेयक, यदि संसद द्वारा पारित किया जाता है, तो कानूनी बिरादरी के सदस्यों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, ताकि वे अपने और अपने परिवार के बारे में चिंता किए बिना, निडर होकर अदालत के अधिकारियों के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।"

    प्रेस विज्ञप्ति पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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