वकील कानून से ऊपर नहीं; वकीलों के अनियंत्रित आचरण के खिलाफ बार काउंसिल को स्वतः कार्रवाई करनी चाहिएः मद्रास हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
19 Jun 2021 7:30 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि बार काउंसिल को उन अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए जो सार्वजनिक रूप से अपने अनियंत्रित आचरण के कारण कानूनी बिरादरी को अपमानित करते हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि ऐसी घटनाएं विजुअल या प्रिंट मीडिया के माध्यम से बार काउंसिल के संज्ञान में आती हैं, तो बार काउंसिल को किसी औपचारिक लिखित शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना, स्वतः कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।
जस्टिस एम धंदापनि की एकल पीठ ने एक वकील की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करते समय ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। इस वकील पर आरोप था कि जब पुलिस वालों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने के लिए उनके वाहन को रोका तो उसने पुलिस अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से डराया-धमकाया। वकील द्वारा पुलिस को धमकाने के दृश्य मीडिया में सार्वजनिक हो गए थे।
कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता भी आम नागरिक हैं और वे कानून से ऊपर नहीं हैं।
''एक वकील भी अन्य सभी व्यक्तियों की तरह एक नागरिक होता है। केवल उनके पेशे और उनके सोशल माइंडेड एक्ट के कारण, अधिवक्ताओं का कद बड़ा हो जाता है और वास्तव में यही कारण है कि कानून ने उन्हें पुलिस से भी सवाल करने का रूतबा/क्षमता प्रदान किया है। लेकिन उस रूतबे का इस्तेमाल किसी व्यक्ति या सरकार के किसी अधिकारी की प्रतिष्ठा और पोजिशन को खराब किए बिना कानूनी और वैध तरीके से किया जाना चाहिए।
इस बात पर और जोर दिया जाना चाहिए कि अधिवक्ता कानून से ऊपर नहीं हैं और वास्तव में अधिवक्ताओं को कानून का अधिक सम्मान करना पड़ता है, क्योंकि यह उनकी रोजी-रोटी है। न्यायोचित कारणों के अलावा अन्य के लिए अधिवक्ता के पद का उपयोग और कुछ नहीं बल्कि भ्रष्ट प्रकृति का कार्य है, जिसे न्याय की मूर्ति के हाथों में रखी तलवार से काटने की आवश्यकता है।
एक वकील का कर्तव्य यह देखना है कि कानून के शासन का पालन किया जाए, भले ही इससे उसे कितना भी नुकसान हो। बार के वरिष्ठ सदस्य, विशेष रूप से मद्रास बार ने सदियों से एक साथ कानून के शासन को ऊंचा रखा है और मद्रास बार को हमेशा आदर और प्रशंसा के साथ देखा जाता है। लेकिन, आजकल, कुछ सदस्य केवल खुद को समृद्ध करने के लिए और अपने स्वार्थ के लिए, कानूनी बिरादरी के बड़े हित को हवा में फेंक देते हैं और कानूनी पेशे के अन्य सदस्यों को अपने कृत्यों से अपूरणीय क्षति पहुंचाते हैं, जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया है।''
अदालत ने कहा कि आम जनता और कानूनी पेशेवरों के बौद्धिक समूह से कम से कम यह उम्मीद की जा सकती है कि उन्हें संभालने के दौरान वह न्यूनतम बुनियादी सम्मान और शिष्टाचार जरूर देंगे।
बार काउंसिल को स्वतः संज्ञान कार्रवाई करनी चाहिए
कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल को उनके संज्ञान में आने के बाद वकील के किसी भी गैर-पेशेवर आचरण के खिलाफ स्वतःकार्रवाई करनी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि,''अगर कानूनी पेशे के किसी सदस्य का कोई भी गैर-पेशेवर आचरण विजुअल मीडिया के माध्यम से बार काउंसिल के संज्ञान में आ रहा है और उसके लिए कोई शिकायत नहीं की जाती है तो क्या बार काउंसिल उस घटना पर केवल इस कारण से ध्यान नहीं देगी क्योंकि एडवोकेट एक्ट में स्वतः संज्ञान कार्रवाई की परिकल्पना नहीं की गई है। कानूनी पेशे को जीवित रखने और इसकी गहरी जड़ें बरकरार रखने के लिए आत्मविश्लेषण समय की आवश्यकता है।''
चूंकि अधिवक्ताओं के अनियंत्रित आचरण की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए न्यायालय ने कहा कि बार काउंसिल को अधिक सक्रिय होना चाहिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि,''हालांकि यह न्यायालय बार काउंसिल को कोई ऐसा काम करने के लिए कोई सकारात्मक निर्देश नहीं दे सकता है, क्योंकि यह अधिकार क्षेत्र में निहित नहीं है ... यह समय की मांग है कि बार काउंसिल अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 को लागू करे, जो डिजिटल/प्रिंट मीडिया के माध्यम से जानकारी में आने वाली घटनाओं (जिनके लिए किसी व्यक्ति द्वारा कोई शिकायत न की गई हो) पर स्वतः संज्ञान लेने की शक्ति और अधिकार देता है।''
कोर्ट ने वकील की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह भी आदेश दिया है किः
'' प्रतिवादी नंबर दो (तमिलनाडु बार काउंसिल), बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ परामर्श करके कानूनी बिरादरी के व्यापक हित में, ऐसे सदस्यों के खिलाफ स्वतः संज्ञान कार्यवाही शुरू करने के लिए एक तंत्र विकसित करने के मुद्दे पर गौर करे, जो ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं जो पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं और पूरी तरह से कानूनी बिरादरी के हितों को अपमानित करती हैं।''
वकील कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते
''अधिवक्ताओं को इस आधार पर कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए कि वे कानून के संरक्षक हैं; इसके विपरीत, वकील कानून के संरक्षक होने के कारण कानूनी ढांचे के भीतर कार्य करने के लिए बाध्य हैं, अगर कानून का उल्लंघन हो तो उन्हें सुपरिभाषित तंत्र के माध्यम से कानून का शासन स्थापित करना चाहिए। उक्त एक्ट से कोई भी विचलन वकील को कानूनी बिरादरी से बाहर ले जाएगा और उसे ऐसे व्यक्ति के तौर पर पेश करेगा, जो कानूनी पेशे के साथ-साथ प्रोफेशन की प्रैक्टिस करने वाले व्यक्तिों पर भी दाग लगा देगा।''
जज के खिलाफ आपत्तिजनक ऑडियो संदेश फैलाने वाले वकील के खिलाफ आपराधिक अवमाननाकी कार्रवाई शुरू
इसी आदेश में न्यायमूर्ति धंदापनि ने उस वकील के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू की है,जिसने एक जज के खिलाफ व्हाट्सएप पर अपमानजनक ऑडियो संदेश शेयर किए थे।
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