यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक : कर्नाटक हाईकोर्ट को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने बताया

LiveLaw News Network

20 Aug 2020 12:43 PM GMT

  • यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक :  कर्नाटक हाईकोर्ट को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने बताया

    एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया है कि यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग वैकल्पिक है,न कि अनिवार्य।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने एएआई के वकील द्वारा दिए गए बयान को दर्ज करते हुए कहा कि वह अब अलग-अलग सरकारी विभागों द्वारा जारी किए गए व्यक्तिगत मानक संचालन प्रक्रियाओं पर निर्णय लेने के बजाय याचिकाकर्ता अनिवार ए अरविंद की तरफ से दायर याचिका में मांगी गई अंतरिम राहत पर विचार करेंगे।

    इस लंबित रिट याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर मांग की गई है कि प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग न करने वाले नागरिकों को किसी भी सेवा से वंचित न किया जाए।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने तर्क दिया कि ''जब केंद्र सरकार के वकील आपको (अदालत) एयर/रेलवे और स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से यह बता चुके हैं कि आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग स्वैच्छिक है, उसके बावजूद भी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि आउटसोर्स कर्मचारियों सहित उसके सभी कर्मचारियों को तुरंत ऐप डाउनलोड करनी चाहिए। यह एक 'चूहे व बिल्ली के खेल' की तरह है। जहां हमें एक सर्कुलर मिलता है और फिर हम अदालत आ जाते हैं।''

    पुट्टस्वामी के फैसले पर भरोसा करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि ''कानून के बिना आप (सरकार) स्वैच्छिक आधार पर भी डेटा एकत्र नहीं कर सकते हैं। आप डेटा एकत्रित या संग्रहीत नहीं कर सकते हैं, यह पूरी तरह से निषिद्ध है।''

    इस तरह पीठ ने इस याचिका पर अंतिम बार सुनवाई करने का प्रस्ताव दिया। साथ ही प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि अगर उनको कोई आपत्ति है तो वह एक सितम्बर तक अपना बयान दायर कर सकते हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई तीन सितम्बर को होगी।

    सुनवाई के दौरान बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (बीएमआरसीएल) की तरफ से पेश वकील ने अदालत को बताया कि ''बीएमआरसीएल ने अपना परिचालन शुरू नहीं किया है। इसके अलावा, उनके द्वारा जारी एसओपी अभी ड्राफ्ट के रूप में है,जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की तरफ से जारी ऐडवाइजरी पर आधारित है। जब परिचालन शुरू होगा,उसी समय फाइनल एसओपी जारी की जाएगी। इस प्रकार बीएमआरसीएल के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई दलीलें असामयिक हैं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि बीएमआरसीएल ने स्टेशन परिसर में प्रवेश करने के लिए पूर्व शर्त के रूप में यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग अनिवार्य किया है।''

    पीठ ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि उनके समक्ष सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार या एजेंसियां और राज्य की संस्थाएं अपनी सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक शर्त के रूप में आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करने और उपयोग करने को अनिवार्य बना सकती हैं? क्या किसी नागरिक को कोई सुविधा इस आधार पर उपलब्ध कराने से इनकार किया जा सकता है क्योंकि उसने ऐप को डाउनलोड नहीं किया है?

    पीठ ने आरोग्य सेतु एप्लिकेशन के एक उपयोगकर्ता द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन का भी निपटारा कर दिया है। अधिवक्ता राजकुमार वी सी ने कहा कि ''मैं ऐप का उपयोगकर्ता हूं और मुझे लगता है कि ऐप बहुत उपयोगी है। यह जनता को सतर्क रहने में मदद करती है। इसके अलावा, लगभग 14 करोड़ नागरिक एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं।''

    पीठ ने कहा कि ''इस याचिका में यह अदालत इस सवाल से चिंतित नहीं है कि आरोग्य सेतु एप्लिकेशन का उपयोग अच्छा है या बुरा है। न ही कोर्ट को ऐप का उपयोग करने वालों के लिए उपलब्ध सेवाओं की प्रकृति और सीमा पर विचार करना है। इस स्तर पर मुद्दा यह है कि क्या राज्य या उसकी एजेंसियां और राज्य की संस्थाएं नागरिकों को उन सेवाओं या विशेषाधिकारों का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए ऐप को डाउनलोड करना अनिवार्य कर सकती हैं, जो नागरिकों को राज्य और एजेंसियों /राज्य की संस्थाओं से मिलनी चाहिए या जिसके वो हकदार हैं। इसलिए इस याचिका में हस्तक्षेप के लिए कोई मामला नहीं बनता है।''

    केंद्र सरकार ने पहले अदालत के सामने प्रस्तुत किया था कि हवाई या रेल द्वारा यात्रा करने वालों के लिए आरोग्य सेतु का उपयोग अनिवार्य नहीं था और यह पूरी तरह से स्वैच्छिक था।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों ने COVID19 के पाॅजिटिव पाए व्यक्तियों लोगों से संपर्क अनुरेक्षण के लिए मोबाइल ऐप लॉन्च किए हैं। ये एप्लिकेशन स्वैच्छिक हैं और दुनिया भर में उपयोग होने वाली इन ऐप में से अधिकांश एप्लिकेशन केवल ब्लूटूथ का उपयोग करती हैं और उपयोगकर्ता की लोकेशन तक नहीं पहुंचती हैं। हालाँकि, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा संपर्क अनुरेखण के लिए 2 अप्रैल को लॉन्च की गई यह एप्लिकेशन (जिसे उपयोगकर्ताओं ने 100 मिलियन से अधिक बार डाउनलोड किया है )उपयोगकर्ताओं को ट्रैक करने के लिए लोकेशन सर्विस और ब्लूटूथ का उपयोग कर रही है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि 11 मई को प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष ने आरोग्य सेतु के लिए डेटा एक्सेस प्रोटोकॉल को अधिसूचित किया था,जिसे कानून का कोई समर्थन नहीं मिला है। ऐसे में यह प्रोटोकॉल बिना किसी सक्षम कानून के आरोग्य सेतु ऐप के उपयोग को अनिवार्य करने का बहाना नहीं हो सकता है।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ऐप अत्यधिक डेटा एकत्र कर रही है और यह डाटा न्यूनतमकरण और उद्देश्य सीमा के सिद्धांतों के खिलाफ है जैसा कि 'पुट्टस्वामी जजमेंट' में कहा गया है।

    Next Story