अंकित गुर्जर मामला- राज्य की जेलों में किसी भी घटना को रोकने के लिए 6944 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए: दिल्ली हाईकोर्ट में जेल महानिदेशक ने बताया

LiveLaw News Network

29 Oct 2021 6:56 AM GMT

  • अंकित गुर्जर मामला- राज्य की जेलों में किसी भी घटना को रोकने के लिए 6944 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए: दिल्ली हाईकोर्ट में जेल महानिदेशक ने बताया

    दिल्ली हाईकोर्ट में जेल महानिदेशक ने बताया कि जेलों के अंदर किसी भी दुर्घटना या हिंसा को रोकने के लिए दिल्ली की जेलों में 6,944 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

    जेल महानिदेशक ने आगे कहा कि सभी जेल अधीक्षकों को एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें किसी भी हिंसा आदि के मामले में उपचारात्मक उपायों का सुझाव दिया गया है।

    यह घटनाक्रम तिहाड़ जेल के एक 29 वर्षीय कैदी अंकित गुर्जर से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया।

    अंकित गुर्जर की जेल परिसर के अंदर कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।

    जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने इस पहले इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर कर दी थी।

    जेल महानिदेशालय ने न्यायालय को सूचित किया कि उसकी 31 अगस्त की अंतिम जांच रिपोर्ट में उपाधीक्षक को अपने कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही पाई गई। साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया कि उसके खिलाफ सीबीआई जांच के अलावा विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

    कोर्ट को यह भी बताया गया कि अंकित गुर्जर की मेडिकल जांच में लापरवाही के आरोप में जेल डॉक्टर की नियुक्ति रद्द कर दी गई।

    जेल महानिदेशक द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया,

    "वर्तमान में 6944 नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ये दिल्ली की सभी जेलों में काम कर रहे हैं। इन कैमरों की एक महीने की रिकॉर्डिंग दो अलग-अलग जगहों पर संरक्षित है। एक जेल में ही और दूसरा जेल मुख्यालय में। जेल में किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में सीसीटीवी फुटेज को अगले आदेश तक सुरक्षित रखा जा सकता है।"

    स्थिति रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सभी जेल अधीक्षकों को यह भी बताया गया कि संज्ञेय अपराधों की जांच या जांच करने के लिए पुलिस को जेलों के अंदर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा।

    अधिवक्ता महमूद प्राचा और शारिक निसार के माध्यम से अंकित की मां, बहन और भाई द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि अंकित को जेल अधिकारियों द्वारा परेशान किया जा रहा था और वास्तव में एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत उसकी हत्या की गई।

    अंकित गुज्जर चार अगस्त को तिहाड़ जेल के अंदर मृत पाया गया था। उसे सेंट्रल जेल नंबर तीन में बंद किया गया था। घटना के सिलसिले में डीजीपी ने चार अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया था। इनमें उपाधीक्षक, दो सहायक अधीक्षक और एक वार्डन शामिल हैं।

    सीबीआई को जांच स्थानांतरित करते हुए कोर्ट ने कहा था,

    "जेल की दीवारें चाहे वे कितनी भी ऊंची हों, भारत के संविधान में निहित अपने कैदियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले कानून के शासन पर एक जेल की नींव रखी जाती है।"

    कोर्ट का विचार था कि मामले में राज्य और महानिदेशक, जेल द्वारा तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई की मांग की गई ताकि 'जेल में बेईमान अधिकारी सीसीटीवी के काम न करने की जानकारी का लाभ न उठाएं ताकि वे कोई भी अवैध कार्य/अपराध करके भाग सकें।'

    कोर्ट ने कहा,

    "आगे यहां तक ​​कि जब अंकित घायल हो गया और जीवित था, यदि उसे उचित मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस प्रकार न केवल इस बात की जांच की जाए कि मृतक अंकित को बेरहमी से पीटने का अपराध किसने किया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हुई। साथ ही सही समय पर उचित इलाज उपलब्ध नहीं कराने में जेल के डॉक्टरों की भूमिका का पता लगाने के लिए भी एक उचित जांच की जरूरत है।"

    कोर्ट ने आगे कहा:

    "इसके अलावा, आवश्यक नियम और कानून लागू होने चाहिए, ताकि पुलिस को एक संज्ञेय अपराध के कमीशन की जांच करने के लिए जेल में प्रवेश से वंचित न किया जाए।"

    केस शीर्षक: गीता और अन्य बनाम राज्य

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