23 वर्षीय ट्रांस स्टूडेंट को राजद्रोह के आरोप में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी

LiveLaw News Network

1 Nov 2021 12:26 PM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक 23 वर्षीय ट्रांस स्टूडेंट्स को अग्रिम जमानत दी, जिस पर कथित तौर पर LGBTQI समुदाय के समर्थन में हुई एक सभा में 'आपत्तिजनक नारे' लगाने के आरोप में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था।

    जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ उर्वशी चुड़ावाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए, 153-बी और 505 सहपठित धारा 34 के तहत दंडनीय अपराधों में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग की गई थी।

    कथित तौर पर, आवेदक चुड़ावाला ने एक फरवरी 2020 को मुंबई के आजाद मैदान में LGBTQI समुदाय के समर्थन में हुई सभा में भाग लिया था और आपत्तिजनक नारे लगाए थे।

    रैली में कथ‌ित तौर पर एक नारा लगाया गया था - शरजील तेरे सपनों को, हम मंजिल तक पहुंचाएंगे। इसके बाद राज्य पुलिस ने लगभग 50 लोगों (याचिकाकर्ता सहित) पर राजद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया था।

    गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने पिछले साल ट्रांस व्यक्तियों को अंतरिम राहत दी थी और 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने राहत को पूर्ण रूप दिया था। अंतरिम राहत का विस्तार करते हुए कोर्ट ने पिछले साल कहा था,

    " ... केवल एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के साथ एकजुटता दिखाना, जो सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का विरोध कर रहे हैं, प्रथम दृष्टया, यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है कि आवेदक ने वास्तव में कारण और/या कानून द्वारा स्‍थापित सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने का प्रयास किया....। लगाए गए नारे प्रथम दृष्टया राष्ट्र की अखंडता के लिए खतरा प्रतीत नहीं होते। नारों को छोड़कर मेरे संज्ञान में कोई ऐसी सामग्री नहीं लाई गई, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उसने शरजील की कथित विचारधारा को साझा किया हो, जिसके लिए उन पर आरोप लगाया गया है।"

    अभियोजन पक्ष ने कहा कि मौजूदा मामले में जांच उन्नत चरण में पहुंच गई है और केवल फोरेंसिक रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है।

    कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान करते हुए जोर देकर कहा कि आवेदक को हिरासत में पूछताछ के लिए वारंट किया गया था और इसलिए 11 फरवरी 2020 के अंतरिम आदेश को पूर्ण बनाकर आवेदन की अनुमति दी गई थी।

    केस शीर्षक - उर्वशी चूड़ावाला बनाम महाराष्ट्र राज्य

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