1984 Anti Sikh Riots: पूर्व Congress MP सज्जन कुमार को हत्या के मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा

Shahadat

25 Feb 2025 9:00 AM

  • 1984 Anti Sikh Riots: पूर्व Congress MP सज्जन कुमार को हत्या के मामले में मिली आजीवन कारावास की सजा

    दिल्ली कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पश्चिमी दिल्ली इलाके में रहने वाले व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या के मामले में पूर्व Congress MP सज्जन कुमार को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

    राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने यह आदेश पारित किया। कुमार को 12 फरवरी को इस मामले में दोषी ठहराया गया था।

    कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में 2021 में आरोप तय किए गए। दंगों के संबंध में कुमार को यह दूसरी बार दोषी ठहराया गया।

    अदालत ने मामले में कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के साथ धारा 149 के तहत आरोप तय किए।

    शिकायतकर्ता ने कहा था कि 1 नवंबर 1984 को एक भीड़ ने उनके घर पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके पति और बेटे की हत्या कर दी गई। उन्हें और अन्य लोगों को चोटें आईं, जिसमें उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और नष्ट करना शामिल था।

    शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि उसने बाद में एक पत्रिका में कुमार की एक तस्वीर देखी और उसे भीड़ को उकसाने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाना।

    इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने आदेश दिनांक 12.02.2015 के तहत 1984 के दंगों से संबंधित मामलों की जांच या फिर से जांच करने के लिए SIT का गठन किया। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया गया, जिसमें उसने फिर से घटना के बारे में बताया।

    इस मामले में आगे की जांच से पता चला कि पीड़ित, शिकायतकर्ता की भाभी और दोनों मृतक उस समय घर पर मौजूद थे, जब हजारों लोगों की हिंसक भीड़ ने लोहे की छड़ों और लाठियों आदि से लैस होकर उनके घर पर हमला किया, उसके दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दीं, घरेलू सामान लूट लिया और आग लगाकर या अन्यथा उनके घरेलू सामान को नष्ट करके और उनके घर को आग लगाकर उत्पात मचाया।

    यह भी आरोप लगाया गया कि कुमार ने हजारों लोगों की गैरकानूनी सभा का नेतृत्व किया और उसके सदस्य होने के नाते घातक हथियारों से लैस होकर दंगा, डकैती, हत्या, हत्या का प्रयास, आग लगाकर या अन्यथा पीड़ितों के घर और अन्य घरेलू संपत्ति को नष्ट करके गंभीर चोट और उत्पात मचाने जैसे अपराध किए। कुमार के खिलाफ आरोप तय करते समय, अदालत का मानना ​​था कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री मौजूद थी, जिससे प्रथम दृष्टया यह राय बनती है कि वह न केवल मृतक के घर पर हमला करने वाली भीड़ में शामिल था, बल्कि उसका नेतृत्व भी कर रहा था।

    हालांकि अदालत ने आईपीसी की धारा 201 और 307 के तहत आरोपों को खारिज कर दिया।

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