जुबीन गर्ग की मौत की जांच NIA/CBI को सौंपने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
Shahadat
4 Oct 2025 10:31 AM IST

सिंगापुर में आयोजित महोत्सव के आयोजक श्याम कानू महंत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस फेस्टिवल में दिवंगत गायक जुबीन गर्ग को अपनी परफॉर्मेंशन देनी थी। महंत ने असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में अपने खिलाफ दर्ज कई FIR और मीडिया ट्रायल के खिलाफ सुरक्षा की मांग की। उनका दावा है कि दिवंगत गायक की मौत में कथित संलिप्तता के संबंध में एक झूठी कहानी के कारण उन्हें बड़े पैमाने पर जनता की नफ़रत का शिकार होना पड़ा।
याचिकाकर्ता ने जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने और इसकी निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए रिटायर जज की नियुक्ति की भी मांग की।
एक दुखद घटना में असम में जन्मे गायक गर्ग की कथित तौर पर डूबने से मृत्यु हो गई, जब वह पूर्वोत्तर महोत्सव में प्रस्तुति देने के लिए सिंगापुर गए। इस मौत के बाद असम पुलिस ने दिवंगत गायक की मौत के सिलसिले में उनके मैनेजर और वर्तमान याचिकाकर्ता को आपराधिक साजिश, गैर-इरादतन हत्या और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत लापरवाही से मौत के आरोपों में गिरफ्तार किया। एक विशेष जांच दल भी जांच कर रहा है।
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड राज कमल के माध्यम से 30 सितंबर को दायर रिट याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता "सुनियोजित षड्यंत्र" का शिकार हो गया, जिसमें गैर-ज़िम्मेदार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टें शामिल हैं, जो उसके दिवंगत मित्र गर्ग की मौत में उसकी कथित संलिप्तता के संबंध में झूठी कहानी गढ़ने की कोशिश करती हैं।
आगे कहा गया,
"मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, याचिकाकर्ता पर असम राज्य और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य पड़ोसी राज्यों में जहां तक याचिकाकर्ता की जानकारी और ज्ञान का सवाल है, 54 से ज़्यादा FIR दर्ज हैं। इसके अलावा, मीडिया रिपोर्टों में असम राज्य के शीर्ष अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता को बदनाम करने वाले बयानों का आरोप लगाया गया, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा मृतक गायक को संगीत कार्यक्रम के लिए विदेश ले जाने और वहीं दिवंगत गायक की मृत्यु होने के आधार पर उसकी निंदा की गई। मीडिया रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि गायक अपनी टीम के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ सिंगापुर के द्वीप पर नौका में बैठकर मनोरंजन के लिए गए, जहां 19.09.2025 को डूबने से दिवंगत गायक की दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई।"
याचिका में कहा गया कि संलिप्तता के आरोप हास्यास्पद हैं, क्योंकि याचिकाकर्ता घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था और समारोहों की व्यवस्थाओं की देखरेख में व्यस्त था।
उन्होंने कहा,
"याचिकाकर्ता 19 सितंबर, 2025 यानी घटना की तारीख को मृतक से मिल भी नहीं सका, क्योंकि वह उत्सव की व्यवस्था की देखरेख में व्यस्त था और 17 सितंबर, 2025 को ही उससे मिला था।"
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ प्रिंट मीडिया भी घृणास्पद और पूर्वाग्रही समाचार प्रसारित करने से बचें। उन्होंने दलील दी कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना सिंगापुर में हुई जब ज़ुबीन गर्ग अपनी टीम के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ एक नौका पर सवार होकर एक द्वीप पर अवकाश यात्रा पर थे। उन्होंने बताया कि सिंगापुर के अधिकारियों को अपनी जांच के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का कोई सुराग नहीं मिला है।
निम्नलिखित राहतें मांगी गईं:
1. CID पुलिस थाना मामला नंबर 18/2025, BNS, 2023 की धारा 61(2)/105/106(1) और असम तथा पड़ोसी पूर्वोत्तर राज्यों में दर्ज अन्य FIR, यदि कोई हों, उनके अंतर्गत जांच को विशेष जांच दल (SIT) से प्रतिवादी नंबर 4 (NIA) या प्रतिवादी नंबर 5 (CBI) को सीधे हस्तांतरित किया जाए और स्वर्गीय ज़ुबीन गर्ग के निधन की जांच की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए इस न्यायालय के रिटायर जज की नियुक्ति की जाए।
2. प्रतिवादी नंबर 2 (असम राज्य) और प्रतिवादी नंबर 3 (असम के डीजीपी) के विरुद्ध ज़ुबीन गर्ग की मृत्यु से संबंधित मामले में याचिकाकर्ता को हिरासत में लेने या उसके और उसके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई करने से निरोधक आदेश, जिससे उनके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा हो सके।
3. जनता और मीडिया के आक्रोश को देखते हुए याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें नई दिल्ली स्थित प्रतिवादी नंबर 4 (NIA) या प्रतिवादी नंबर 5 (CBI) के कार्यालय में जांच में शामिल होने में सक्षम बनाने का निर्देश दिया जाए।
4. प्रतिवादी नंबर 2 (असम राज्य) को पोस्टमार्टम रिपोर्ट, अन्य मेडिकल रिकॉर्ड और सिंगापुर में की गई जांच रिपोर्ट (सिंगापुर उच्चायोग द्वारा अग्रेषित) अदालत के विचारार्थ एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए।
5. आदेश कि इस अदालत द्वारा पारित निर्देशों के अनुसार ही, किसी भी अदालत या पुलिस प्राधिकरण द्वारा समान वाद हेतु शिकायत का संज्ञान या FIR** दर्ज न की जाए।
6. प्रतिवादी नंबर 2 (असम राज्य) और प्रतिवादी नंबर 3 (असम के डीजीपी) को याचिकाकर्ता और उसके परिवार के आवासीय परिसरों की सील हटाने और उनके बैंक खातों पर लगी रोक हटाने का निर्देश दिया जाए।
7. सभी मीडिया प्लेटफॉर्म (प्रिंट, डिजिटल और सोशल मीडिया) को निर्देश कि वे जांच पूरी होने तक मामले से संबंधित निराधार, पूर्वाग्रही या घृणास्पद समाचार न चलाएं।
8. प्रतिवादी नंबर 1 (भारत संघ) को सिंगापुर सरकार से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगने का निर्देश दिया जाए।
गौरतलब है कि 29 सितंबर को याचिका दायर करने के बाद महंत को 1 अक्टूबर को असम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और कथित तौर पर वह हिरासत में हैं।
Case Details: SHYAM KANU MAHANTA v UNION OF INDIA & ORS.|WP (Crl) No|Diary No. 56715/2025

