'महिला अधिवक्ता खुद पर विश्वास रखें और जो कुछ भी आप चाहती हैं उसे हासिल करने के लिए आगे बढ़ें': न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना

LiveLaw News Network

28 Aug 2021 8:30 AM GMT

  • महिला अधिवक्ता खुद पर विश्वास रखें और जो कुछ भी आप चाहती हैं उसे हासिल करने के लिए आगे बढ़ें: न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना

    कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने महिला अधिवक्ताओं से खुद पर विश्वास रखते हुए अवसरों की तलाश करने और वह सब हासिल करने के लिए आगे बढ़ने का आग्रह किया जो वे खुद के लिए चाहती हैं और उसे समाज को भी वापस दें।

    शुक्रवार को दिए गए एक भावनात्मक विदाई भाषण में उन्होंने कहा,

    ''मेरी किताब के इस पन्ने से जो संदेश मैं देना चाहती हूं उस पर महिला अधिवक्ता ध्यान दें, वह यह है कि सही अवसरों तक पहुंच के साथ, आप में से प्रत्येक अपने सपनों को प्राप्त कर सकती है। इसलिए, मैं आप में से प्रत्येक से अपने आप में विश्वास रखते हुए इनकी तलाश करने का आग्रह करती हूं और वह सब हासिल करने के लिए आगे बढ़ें जो आप खुद के लिए चाहती हैं और उसे समाज को भी वापस दें।''

    उन्होंने उनके नाम की सिफारिश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री एन.वी. रमना और कॉलेजियम के सदस्यों, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ,न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव का धन्यवाद किया। उन्होंने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने चर्चा और सिफारिश के लिए उनके नाम को आगे बढ़ाया था। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आगे कहा, ''मैं विनम्रतापूर्वक मानती हूं कि मेरे नाम की सिफारिश मेरी योग्यता और ईमानदारी की दी गई मान्यता है।''

    उन्होंने याद किया कि उनके जीवन के सबसे अच्छे फैसलों में से एक दिल्ली से बेंगलुरु लौटकर कर्नाटक बार काउंसिल में एक वकील के रूप में खुद को नामांकित करना और बेंगलुरु में प्रैक्टिस शुरू करना था। उन्होंने कहा, ''मैं दिल्ली में अपने पिता न्यायमूर्ति ई.एस.वेंकटरमैया को आवंटित सरकारी आवास में रहना और वहां प्रैक्टिस नहीं करना चाहती थी। अब, मैंने पाया कि सर्कल पूरा हो रहा है।''

    उन्होंने याद करते हुए कहा कि जब वह प्रैक्टिस के लिए बेंगलुरु लौटी तो उनके पिता ने उनसे कहा था कि बेंगलुरु बार उनकी परवरिश/शिक्षण प्रदान करेगा। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ''जब मैं एक वकील थी, तब उन दो दशकों के दौरान मुझे जो स्नेह, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिला, उसके लिए मैं बैंगलोर बार की आभारी हूं। पिछले साढ़े तेरह वर्षों से, मुझे बेंगलुरु, धारवाड़ और कलबुर्गी के अधिवक्ताओं से सबसे अच्छा सहयोग मिला है।''

    उन्होंने व्यक्त किया कि श्री ई.एस. वेंकटरमैया की बेटी बनना आसान नहीं था, क्योंकि हर पल मेरे आचरण और कार्य को मेरे पिता के व्यक्तित्व के प्रकाश में जांचा गया।

    न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यह भी उल्लेख किया कि भारत देश इतिहास या भूगोल में केवल एक टुकड़ा नहीं है। यह एक अरब से अधिक लोगों का देश है जिसके एक अरब से अधिक सपने हैं। उन्होंने कहा कि असंख्य विविधताओं के बावजूद भारतीय संविधान, कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध एक कानूनी प्रणाली और सर्वोच्च न्यायालय के साथ न्यायालयों का एक संगठित पदानुक्रम बाध्यकारी कारक है।

    उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करने में पारंपरिक भूमिका के अलावा, वकीलों और न्यायाधीशों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, विशेष रूप से उन असंख्य समस्याओं का सामना करने के लिए जिनका आज देश सामना कर रहा है। वकीलों की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ''भारत में पालन की जाने वाली विरोधात्मक प्रणाली में, प्रत्येक पक्ष की तरफ से बेहतर मामला पेश करने और बेंच के समक्ष अधिक कुशल बहस करने से एक न्यायाधीश को एक अच्छे और न्यायपूर्ण निर्णय तक पहुंचने में मदद मिलती है। इसलिए कहा गया है कि एक मजबूत बार एक मजबूत बेंच बनाता है।''

    उन्होंने अपने ससुराल वालों और पति बी.एन.गोपाला कृष्ण का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह तीन दशकों की मेरी यात्रा के दौरान ताकत और समर्थन के एक अटूट स्तंभ रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है, लेकिन हर सफल महिला के पीछे एक परिवार होता है।''

    उन्होंने अपने भाषण में सभी कर्मचारियों, रजिस्ट्रार और उनसे जुड़े अन्य लोगों को उनके नाम का उल्लेख करते हुए धन्यवाद दिया और कहा,

    ''मेरी उनसे अपील है कि संस्थान को अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवाएं प्रदान करें ताकि कर्नाटक हाईकोर्ट का झंडा ऊंचा हो। ईमानदारी, अखंडता और कड़ी मेहनत इस न्यायालय के कर्मचारियों का आदर्श वाक्य होना चाहिए।''

    न्यायमूर्ति नागरत्ना अभिभूत थी और अपने भाषण के अंत के करीब उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, उन्होंने यह कहते हुए अपने भाषण को समाप्त किया कि ''मैंने पिछले 34 वर्षों के दौरान एक वकील और इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने काम का आनंद लिया है। मुझे लगता है कि इस लाल इमारत और यहां काम करने वाले हर व्यक्ति के साथ मेरे जुड़ाव से मेरा जीवन समृद्ध हुआ है।''

    उन्होंने अंत में कहा कि,

    ''मुझे यह सफलता हासिल नहीं हो पाती, परंतु उन लोगों में से प्रत्येक के योगदान से, जिन्हें मैंने नामित किया है और जिन अन्य लोगों के नामों का मैंने उल्लेख नहीं किया है, लेकिन जिनका सहयोग व सेवाएं मेरी पेशेवर और व्यक्तिगत क्षमता में मुझे मिली है, मैं यह सब पा सकी हूं।'' उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि अगर किसी को कोई ठेस पहुंची है तो मुझे माफ करना। ''अगर मैंने कभी अपनी आवाज उठाई है, तो यह केवल अन्याय के खिलाफ है और व्यक्तिगत रूप से किसी के खिलाफ नहीं है।''

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