अवमानना के लिए यतिन ओझा से वरिष्ठता वापस लेने का मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम ओझा और हाईकोर्ट के हितों को संतुलित करने के लिए एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं'
LiveLaw News Network
7 Oct 2021 6:29 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट की अवमानना कार्रवाई और एडवोकेट यतिन ओझा की वरिष्ठता को छीनने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह एक ऐसा समाधान खोजने की प्रक्रिया में है, जो श्री ओझा और हाईकोर्ट दोनों के हितों को संतुलित करता हो।
पिछली सुनवाई में कोर्ट यह देखते हुए कि श्री ओझा ने अपनी सजा का विशेष हिस्सा भुगत लिया है, उनकी ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी के सुझाव पर यह जांच करने के लिए सहमत हो गया था कि उन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को, उनके आचरण के अधीन, कुछ समय के लिए स्थगित किया जा सकता है। मामले में भविष्य में किसी भी उल्लंघन पर आजीवन प्रतिबंध को बहाल करना हाईकोर्ट के हाथ में होगा।
गुरुवार को जस्टिस एसके कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ ने श्री ओझा और वकीलों से इस मामले में कहा कि अदालत डॉ. सिंघवी के सुझाव के अनुसार समाधान निकालने का प्रयास कर रही है और अगली सुनवाई तक एक आदेश तैयार रहेगा।
जस्टिस कौल ने सीनियर एडवोकेट डॉ. सिंघवी से कहा और अरविंद दातार से कहा, "हम समझ रहे हैं कि आप क्या कह रहे हैं। शायद डॉ सिंघवी ने जो सुझाव दिया था, उसके संदर्भ में हम कुछ समाधान ढूंढ सकते हैं। आंशिक रूप से, यह सही था, हालांकि पूरी तरह से नहीं। हम कुछ खोजने की कोशिश कर रहे हैं। हमें कुछ और समय चाहिए। हम सुनवाई की अगली तारीख पर आदेश तैयार रखेंगे। यह हमारे लिए एक कठिन काम है, हमें आप जो चाहते हैं और जो हाईकोर्ट ने कहा है, उसके बीच बीच का रास्ता खोजना होगा।"
सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार भी श्री ओझा की ओर से पेश हुए थे।
जज ने आगे कहा, "मैं अभी अपने भाई से कह रहा था कि जिस व्यक्ति ने हम सभी के खिलाफ हर संभव शिकायत की, चूंकि उसने आज बिना शर्त माफी मांगी, मैंने उसकी सजा टाल दी।"
उल्लेखनीय है कि 28 सितंबर को कोर्ट ने सूरज इंडिया ट्रस्ट के चेयरमैन राजीव दईया को अदालत की अवमानना का दोषी पाया था। हालांकि यह देखते हुए कि "यह पहली बार है कि अवमाननाकर्ता ने बिना शर्त माफी के लिए आवेदन दिया है", सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उनकी सजा की सुनवाई को टाल दिया।
गुरुवार को जस्टिस कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने दइया से कहा, "यह पहली बार है जब आपने बिना शर्त माफी मांगी है। किसी को दोषी ठहराना हमारे लिए खुशी की बात नहीं है। हम सजा की सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल रहे हैं। देखते हैं आप कैसे व्यवहार करते हैं।"
जस्टिस कौल ने कहा, "..हमें जो परेशान कर रहा है वह यह है कि वह बार के नेता हैं, एक समृद्ध विरासत के व्यक्ति हैं, एक व्यक्ति, जिन्हें कानून की जानकारील है- उन जैसा व्यक्ति बार-बार अपना आपा कैसे खो सकता है? उन्हें अपने गुस्से के बारे में कुछ करना चाहिए ताकि ऐसा अब न हो ..."
जब हाईकोर्ट की ओर से पेश एडवोकेट निखिल गोयल ने पूछा कि क्या पीठ उन्हें सुनेगी, तब जस्टिस कौल ने कहा , "नहीं, श्री गोयल, हमने आपको सुना है। हमने बहस बंद कर दी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्होंने जो किया है वह गलत है। हमने आपको दो मौकों पर सुना। अन्य तर्क क्या हैं? हर दलील, हर आवेदन को पढ़ना है? ..हमने आपके रुख और आपकी चिंता को समझा। हम स्टैंड के खिलाफ नहीं हैं। हमने आपकी चिंताओं को समझ लिया है। हमने उन्हें नोट कर लिया है"
जज ने कहा, "सच कहूं तो, मैंने पहले ही कुछ लिख दिया है। मैं अपने भाई के साथ इस पर चर्चा करना चाहता हूं और प्रस्ताव को ठीक करना चाहता हूं।"
पीठ ने मामले को 28 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे आदेश के लिए सूचीबद्ध किया।
केस शीर्षक: यतिन नरेंद्र ओझा बनाम गुजरात हाईकोर्ट