वैवाहिक बलात्कार मामले की सुनवाई करेंगे: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
Shahadat
14 Oct 2024 7:40 PM IST
सुप्रीम कोर्ट जल्द ही आपराधिक कानूनों में बलात्कार के अपराध की परिभाषा के तहत 'वैवाहिक बलात्कार' अपवाद को चुनौती देने वाली लंबित याचिका पर सुनवाई कर सकता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि वैवाहिक बलात्कार मामले की सुनवाई जल्द ही होगी, जो उनके समक्ष सूचीबद्ध है।
सीजेआई ने कहा,
"कल हमारे पास जेट मामला है, उसके बाद हमारे पास दिल्ली रिज मामला है। फिर हमारे पास वैवाहिक बलात्कार मामला है।"
सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63 और आईपीसी की पूर्ववर्ती धारा 375 विवाहित पुरुष और उसकी पत्नी के बीच गैर-सहमति वाले यौन संबंध को 'बलात्कार' की परिभाषा से बाहर रखती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (अब BNS की धारा 63) के अपवाद 2 में कहा गया:
"किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया, जिसकी उम्र पंद्रह वर्ष से कम न हो, बलात्कार नहीं है"
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अपवाद की संवैधानिक वैधता के साथ-साथ हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार ने अपने हालिया हलफनामे में न्यायालय द्वारा वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का विरोध किया। केंद्र सरकार ने कहा कि विवाहित महिलाओं को यौन हिंसा से बचाने के लिए कानून में पहले से ही वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं। विवाह संस्था में "बलात्कार" के अपराध को आकर्षित करना "अत्यधिक कठोर" और असंगत हो सकता है।
केंद्र का दावा है कि मामले का फैसला करने के लिए सभी राज्यों के साथ उचित परामर्श के बाद समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसने कहा कि वर्तमान में न्यायालय के समक्ष उठाया गया मुद्दा 'कानूनी' से अधिक 'सामाजिक' है और वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण विधायी नीति के दायरे में आता है।
इस मुद्दे को उठाने वाली अनेक याचिकाओं को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है - पहला, वैवाहिक बलात्कार अपवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट के विभाजित फैसले के खिलाफ अपील; दूसरा, वैवाहिक बलात्कार अपवाद के खिलाफ दायर जनहित याचिका; तीसरा, कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका, जिसमें पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाने के लिए पति के खिलाफ धारा 376 आईपीसी के तहत लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा गया और चौथा, हस्तक्षेप करने वाले आवेदन।