"क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा अगर किसी व्यक्ति ने सैलरी का भुगतान नहीं करने के लिए सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा?" : साल्वे ने अर्नब गोस्वामी की ओर से तर्क पेश किए

LiveLaw News Network

11 Nov 2020 10:19 AM GMT

  • क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा अगर किसी व्यक्ति ने सैलरी का भुगतान नहीं करने के लिए सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा?  : साल्वे ने अर्नब गोस्वामी की ओर से तर्क पेश किए

    सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अर्नब गोस्वामी के मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत से कहा कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आत्महत्या का अपराध स्थापित करने के लिए आवश्यक बुनियादी सामग्रियों के परीक्षण के आधार पर कोई मामला नहीं बनता।

    साल्वे ने कहा,

    "पिछले महीने महाराष्ट्र में एक व्यक्ति ने यह कहते हुए आत्महत्या कर ली कि मुख्यमंत्री वेतन देने में असफल रहे? आप क्या करेंगे? मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करेंगे?"

    अर्नब गोस्वामी को 2018 के आत्महत्या मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच के समक्ष सुनवाई में साल्वे अर्नब की ओर से तर्क प्रस्तुत कर रहे थे।

    साल्वे ने गोस्वामी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई पर अपनी दलील रखी और कहा कि यह स्पष्ट है कि उनकी गिरफ्तारी और हिरासत "द्वेषपूर्ण कार्रवाई है।

    साल्वे ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि

    "क्या आप तीन साल पुरानी एफआईआर में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते हैं और उसे दिवाली के सप्ताह जेल में डाल देते हैं और फिर उसे कठोर अपराधियों के साथ तलोजा जेल में ट्रांसफर कर देते हैं?"

    इस संदर्भ में साल्वे ने पीठ को बताया था कि गोस्वामी को सत्ता का इस्तेमाल करके टारगेट किया जा रहा है और विधानसभा के समक्ष तत्काल मामले से संबंधित असंबंधित मुद्दा चर्चा में उठाया गया था।

    साल्वे ने कहा,

    "इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य में क्या हो रहा है। यह इस व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए एक स्मोकस्क्रीन है।"

    साल्वे ने आगे कहा कि मजिस्ट्रेट को उन्हें पेश करने के पहले दिन ही बांड पर रिहा कर देना चाहिए था क्योंकि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं नहीं बनाया गया था। साल्वे ने कहा कि बकाया राशि का भुगतान न होने के कारण आत्महत्या के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने सुसाइड नोट में गोस्वामी के साथ उल्लेखित अन्य आरोपी व्यक्तियों के मुद्दे पर भी बात की, लेकिन केवल अर्नब गोस्वामी पर विस्तार से चर्चा की गई।

    साल्वे ने कहा,

    "अगर इन्हें (अर्नब) को अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया होता तो क्या आसमान गिर जाता?"

    साल्वे ने प्रस्तुत किया कि वह आत्महत्या मामले में अन्वय नाइक की आत्महत्या की जांच को सीबीआई को हस्तांतरित करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और इस बीच अंतरिम रिहाई की मांग कर रहे हैं।

    वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आज गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बारे में घटनाओं की श्रृंखला का वर्णन करके तर्क पेश किए, जिसमें पालघर लिंचिंग और बांद्रा प्रवासियों की घटनाओं की रिपोर्टिंग पर कई एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बाद के हस्तक्षेप, शिवसेना द्वारा केबल ऑपरेटरों को रिपब्लिक टीवी का बहिष्कार करने की धमकी, महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा उनके खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस का उल्लंघन, टीआरपी घोटाला एफआईआर आदि शामिल रहे।

    इस पृष्ठभूमि में उन्होंने प्रस्तुत किया कि अर्नब गोस्वामी को निशाना बनाने के लिए महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दल द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे।

    साल्वे ने आगे कहा कि एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए अपराध नहीं बनाया गया था।

    साल्वे ने कहा,

    ''एक व्यक्ति को इस बात के लिए उकसाया गया कि वह आत्महत्या करे क्योंकि उसके 88 लाख रुपए बकाया भुगतान शेष है, यह आत्महत्या का मामला नहीं है।''

    Next Story