'सीनियर महिला जजों की अनदेखी क्यों?': इंदिरा जयसिंह ने जस्टिस पंचोली की पदोन्नति के कॉलेजियम के प्रस्ताव पर उठाए सवाल
Shahadat
26 Aug 2025 7:03 PM IST

सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उनसे सीनियर तीन महिला जजों की अनदेखी क्यों की गई।
जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के अत्यंत कम प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डाला, जहां केवल एक महिला जज जस्टि बी.वी. नागरत्ना हैं।
'X' पर चर्चा करते हुए जयसिंह ने अपनी पोस्ट में कहा कि पदोन्नति के लिए संभावित रूप से विचार किए जा सकने वाले सीनियर जजों में तीन महिला जज हैं। वे हैं- जस्टिस सुनीता अग्रवाल (गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस); जस्टिस रेवती मोहिते डेरे (बॉम्बे हाईकोर्ट) और जस्टिस लिसा गिल (पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट)।
उन्होंने आगे कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति से गुजरात हाईकोर्ट के जजों के प्रतिनिधित्व का अनुपात असमान रूप से बढ़ जाएगा, क्योंकि जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस एनवी अंजारिया को उसी हाईकोर्ट से पदोन्नत किया गया था। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि जस्टिस पंचोली को पदोन्नत किया जाता है तो चीफ जस्टिस की नियुक्ति के सीनियरिटी नियम का पालन करने पर वह और जस्टिस पारदीवाला चीफ जस्टिस बन जाएंगे।
उन्होंने कहा:
"जस्टिस विपुल पंचोली से कम से कम तीन महिला सीनियर जज हैं। वे जस्टिस सुनीता अग्रवाल, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस लिसा गिल हैं। इस प्रकार गुजरात से तीन जज हैं, जिनमें से दो चीफ जस्टिस होंगी।"
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पुरुष और महिला जजों का वर्तमान अनुपात 31:1 है। जस्टिस बेला त्रिवेदी के 9 जुलाई, 2025 को रिटायर होने के बाद जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ही एकमात्र कार्यरत महिला जज हैं।
एक अन्य पोस्ट में जयसिंह ने बताया कि 2021 में जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी की नियुक्तियों के बाद एक भी महिला जज की नियुक्ति नहीं हुई, जबकि चार चीफ जस्टिस के अधीन सुप्रीम कोर्ट में 28 न्यायिक नियुक्तियां की गईं।
उन्होंने पूछा,
"क्या महिला सशक्तिकरण की बात करना सिर्फ़ पाखंड है! क्या समझदारी सिर्फ़ पुरुषों में ही है?"
जस्टिस पंचोली के प्रस्ताव ने एक और विवाद को जन्म दे दिया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कॉलेजियम की बैठक में उनकी नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका के सर्वोत्तम हित में नहीं है।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की असहमति पर मीडिया रिपोर्ट के बाद न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (CJAR) ने भी एक बयान जारी किया, जिसमें जस्टिस नागरत्ना के असहमति नोट के प्रकाशन के साथ-साथ जस्टिस पंचोली के 2023 में गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफर के कारणों को भी प्रकाशित करने की मांग की गई, जिसके बारे में कहा गया था कि यह ट्रांसफर सामान्य कारणों से नहीं किया गया है।

