'सड़क एक पेड़ के आसपास से क्यों मोड़ी नहीं जा सकती?' सड़क विकास के लिए पेड़ों को काटने की मांग करने वाली याचिका पर सीजेआई ने पूछा

LiveLaw News Network

3 Dec 2020 4:00 AM GMT

  • सड़क एक पेड़ के आसपास से क्यों मोड़ी नहीं जा सकती? सड़क विकास के लिए पेड़ों को काटने की मांग करने वाली याचिका पर सीजेआई ने पूछा

    ''सड़क पेड़ के चारों ओर से मोड़ क्यों नहीं ले सकती है? इसका मतलब केवल यह होगा कि गति धीमी होगी। यदि गति धीमी है, तो यह दुर्घटनाओं को कम करेगी और अधिक सुरक्षित भी होगी।''

    मथुरा में कृष्णा गोवर्धन सड़क परियोजना के लिए पेड़ों को काटने के लिए यूपी सरकार की तरफ से दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सीजेआई एसए बोबडे ने यह टिप्पणी की है।

    उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग और यूपी ब्रिज कॉर्पोरेशन ने परियोजना के लिए 2,940 पेड़ों की कटाई के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया था।

    सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा, 'आप कृष्णा के नाम पर... हजारों पेड़ नहीं गिरा सकते हैं।'

    प्राधिकरण के वकील ने पीठ को बताया कि वृक्षों के नुकसान की भरपाई वनरोपण और वन विभाग के वृक्ष निधि में भुगतान करके की जाएगी।

    इस संबंध में, सीजेआई ने कहा कि पेड़ों का मूल्यांकन केवल उनकी लकड़ी के मूल्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है।

    उन्होंने प्राधिकारियों से कहा कि वे पेड़ों के मूल्य का मूल्यांकन उनके (पेड़ों)शेष जीवन काल में उनके द्वारा दी जाने वाली ऑक्सीजन को ध्यान में रखकर करें।

    सीजेआई ने यूपी की स्टैंडिंग काउंसिल वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी से कहा, ''जीवित (लिविंग)पेड़ों का मूल्यांकन केवल उनकी लकड़ी के मूल्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है। जीवित पेड़ ऑक्सीजन देते हैं और उनके मूल्यांकन में इस तथ्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए। पेड़ के शेष जीवन काल के लिए उसकी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए।''

    सीजेआई ने आगे सुझाव दिया कि पेड़ों को काटने के बजाय, सड़कों को जिग-जैग तरीके से बनाया जा सकता है, जो मोटर वाहनों की गति को भी कम करेगा और इससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी।

    सुनवाई के बाद पीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया कि,

    ''पेड़ों को न काटने का एकमात्र प्रभाव जो होगा,वह संभवत यह है कि सड़कें सीधी नहीं बन सकती हैं और इसलिए उच्च गति वाले यातायात के लिए सक्षम नहीं हो पाएंगी। ऐसा प्रभाव जरूरी नहीं है कि नुकसानदेह ही हो क्योंकि राजमार्गों पर उच्च गति दुर्घटनाओं का कारण मानी जाती हैं।''

    अब इस आवेदन पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई की जाएगी।

    राज्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें,जिसमें इस मामले में शामिल विभिन्न प्रकार के पेड़ों, उनकी आयु और संख्या के बारे में बताया जाए।

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस सड़क परियोजना को एनजीटी के उस आदेश के बाद तैयार किया गया है,जिसमें गोवर्धन पहाड़ी के चारों ओर सभी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। सरकार आवाजाही की अनुमति देने के साथ-साथ वाहनों को कुछ दूरी पर रोकना सुनिश्चित करने के लिए, पहाड़ी की ओर एक परिक्रमा मार्ग विकसित करने की योजना बना रही है।

    सम्बंधित खबर

    सोमवार को, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनसीआर और देश के उन सभी शहरों/ कस्बों में COVID19 महामारी के दौरान सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, जहां परिवेशी वायु गुणवत्ता 'खराब' है या उससे ऊपर की श्रेणी में है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।

    Next Story