'प्यार और स्नेह' के मद में मोटर दुर्घटना बीमा क्या मंजूर किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच करेगा

LiveLaw News Network

16 Jan 2021 9:16 AM GMT

  • प्यार और स्नेह के मद में मोटर दुर्घटना बीमा क्या मंजूर किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच करेगा

    सुप्रीम कोर्ट ने उन विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) पर नोटिस जारी किया है, जिनमें यह मुद्दा उठाया गया है कि क्या 'प्यार और स्नेह' के मद में मोटर दुर्घटना बीमा मंजूर किया जा सकता है?

    न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने कहा कि 'राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी एवं अन्य 2017 (16) एससीसी 680' मामले में संविधान पीठ के फैसले के तहत इस प्रकार का कोई मद नहीं होता है। आगे यह भी संज्ञान में आया है कि यह बिंदु 'यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सतिन्दर कौर उर्फ सतविंदर कौर एवं अन्य' मामले में कवर किया गया है। उसके बाद इस पर 'न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सोमवती 2020 (9) एससीसी 644' में भी विचार किया गया, जिसमें यह व्यवस्था दी गयी है कि मुआवजा केवल कंसोर्टियम के नुकसान के लिए दिया जा सकता है, न कि 'प्रेम और स्नेह' के नुकसान लिए।

    सोमवती मामले में यह कहा गया था कि 'प्यार और स्नेह' के नुकसान को 'कंसोर्टियम' का नुकसान समझा जाता है। इसलिए 'प्रेम एवं स्नेह' के नुकसान को पृथक मद में मुआवजे दिये जाने को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।

    सतिन्दर कौल मामले में तीन सदस्यीय खंडपीठ ने व्यवस्था दी है,

    "कई ट्रिब्यूनलों और हाईकोर्ट द्वारा कंसोर्टियम और 'प्रेम एवं स्नेह' दोनों के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा रहा है। प्रणय सेठी मामले में संविधान पीठ ने केवल तीन परम्परागत मदों को मान्यताएं दी थी, जिनके तहत मुआवजा दिये जा सकते हैं, जैसे- परिसम्पत्ति का नुकसान, कंसोर्टियम का नुकसान और अंतिम संस्कार के लिए खर्च। मैग्मा जनरल मामले में इस कोर्ट ने स्पाउसल (पति - पत्नी संबंधी) कंसोर्टियम, पैरेंटल कंसोर्टियम और फिलियल (संतानोचित) कंसोर्टियम को शामिल करने के लिए कंसोर्टियम की व्यापक व्याख्या की थी। प्रेम एवं स्नेह के नुकसान को कंसोर्टियम के नुकसान में शामिल माना जाता है। न्यायाधिकरणों और हाईकोर्ट को कंसोर्टियम के नुकसान के लिए मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है, क्योंकि यह वैध परम्परागत मद है। पृथक मद के रूप में प्रेम एवं स्नेह के नुकसान के लिए मुआवजा का निर्णय देना न्यायोचित नहीं है।"

    केस का नाम : न्यू इंडिया एश्योरेंस कॉ. लि. बनाम कुसुम एवं अन्य [विशेष अनुमति अपील (सी) नंबर 6023 / 2020]

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