'मेडिकल इंस्टीट्यूट के लिए सड़क चौड़ी करने से क्या नुकसान होगा?' दिल्ली रिज पर पेड़ गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
Shahadat
11 Dec 2024 9:24 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली रिज फॉरेस्ट एरिया मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के खिलाफ अवमानना के मामलों की सुनवाई की, जो टीएन गोदावर्मन मामले (मामला 1) के उल्लंघन में वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य (मामला 2) के उल्लंघन में दिल्ली के रिज फॉरेस्ट क्षेत्र में पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई से संबंधित है।
दोनों मामलों की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह हुए नुकसान की भरपाई करने का प्रयास करने जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि मेडिकल इंस्टीट्यूट (CAPFIMS) तक सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ों की कटाई से क्या नुकसान हुआ है।
दोनों मामले जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच के सामने आए।
सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण (जो अवमानना के एक मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए) ने दोनों कार्यवाहियों की संक्षिप्त पृष्ठभूमि बताई।
उन्होंने कहा:
"पृष्ठभूमि यह है कि 1670 पेड़ों की कटाई की गई और अवमानना दोनों मामलों में है, एमसी मेहता का मामला जो रिज मुद्दों से निपट रहा है। टीएन गोदावर्मन का मामला जो पेड़ों से संबंधित है।"
इससे पहले कि वह आगे बढ़ पाते जस्टिस भुयान ने स्पष्टीकरण मांगा कि क्या वर्तमान पीठ के समक्ष मामले को जारी रखने में कोई समस्या है, क्योंकि वह जस्टिस ओक की पीठ (जिसने एमसी मेहता मामले में अवमानना कार्यवाही शुरू की थी) का हिस्सा थे। न्यायालय को सूचित किए जाने के बाद कि कोई मुद्दा नहीं लगता है, शंकरनारायण ने अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताना जारी रखा।
जस्टिस कांत ने शुरू में कहा कि जिसने भी नुकसान पहुंचाया, उसका मकसद अब वनरोपण के संदर्भ में प्रतिपूर्ति होना चाहिए। शंकरनारायण ने जवाब दिया कि पारित आदेशों में ऐसा पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जहां तक DDA का सवाल है, वे अलग-अलग अदालतों के वकीलों सहित अपना रुख बदलते रहते हैं।
उन्होंने कहा:
"अदालत में DDA के लिए अलग-अलग वकील पेश हुए। उन्होंने हलफनामे में यही कहा है। यह कहा गया कि 14 मई के आदेश के अनुपालन में मैं विनम्रतापूर्वक एक वचनबद्धता प्रस्तुत करता हूं कि निम्नलिखित सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी। DDA उस भूमि के हिस्से को बहाल करेगा, जहां पेड़ों की कटाई की गई है। जिन पेड़ों को काटा गया, उनकी जगह नए पौधे लगाए जाएंगे और जहां संभव हो अतिरिक्त पेड़ भी लगाए जाएंगे।"
जस्टिस कांत ने फिर से पूछा कि क्या रिज क्षेत्र में और उसके आसपास वनरोपण के लिए कोई वैकल्पिक स्थान है। उन्होंने पूछा कि DDA की जांच समिति इस मुद्दे का निर्धारण क्यों नहीं कर सकती। इस पर सीनियर एडवोकेट विकास सिंह (DDA के लिए) ने कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट दायर की कि किन क्षेत्रों का उपयोग वनरोपण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
सड़क चौड़ीकरण पर यदि कोई अपरिवर्तनीय क्षति हुई है तो अदालत ने पक्षों से इस पर विशेष रूप से अदालत की सहायता करने के लिए कहा।
जस्टिस कांत ने पूछा,
"यदि मेडिकल संस्थान प्रदान किया जाता है और सड़क चौड़ी की जाती है तो क्या अपरिवर्तनीय क्षति होगी?"
पेड़ों को कथित तौर पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (CAPFIMS) के लिए सड़क को चौड़ा करने के लिए काटा गया।
इस पर शंकरनारायण ने कहा:
"उनके पास पहले से ही सड़क है। वे इसे रिज और जंगल में चौड़ा करना चाहते हैं, जिससे दूसरी तरफ के कुछ अमीर लोगों के खेत बच सकें।"
कोर्ट ने जवाब दिया कि सड़क चौड़ी होने के बाद जिन लोगों को पहुंच मिलेगी, उनकी सूची भी दाखिल की जानी चाहिए।
अगली तारीख (7 जनवरी, 2025) को कोर्ट ने निर्देश दिया कि वनरोपण की तस्वीरें और क्षेत्र की साइट प्लान दोनों पक्षों द्वारा पेश किए जाएं।
एक अवमानना का मामला जस्टिस ओक की बेंच (एमसी मेहता केस) और दूसरा जस्टिस गवई की बेंच (टीएन गोदावरमना केस) से उठा। समानांतर कार्यवाही को देखते हुए मामले को सीजेआई को भेज दिया गया। पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले में दिल्ली एलजी (DDA के अध्यक्ष) से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था।
इससे पहले, जस्टिस ओक की पीठ ने प्रथम दृष्टया पाया कि ऐसे पत्राचार हैं, जो दर्शाते हैं कि दिल्ली के उपराज्यपाल के निर्देश पर पेड़ों को काटा गया। उपराज्यपाल ने हलफनामा दायर कर इस बात से इनकार किया कि उन्होंने ऐसा कोई निर्देश दिया। कहा कि उन्हें पेड़ों को काटने के लिए न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता के बारे में जानकारी नहीं दी गई।
सीजेआई संजीव खन्ना के मामले से अलग होने के बाद मामला वर्तमान पीठ के पास पहुंचा।
केस टाइटल: टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 202/1995 [मामला 1] और बिंदु कपूरिया बनाम सुभाषिश पांडा, डायरी नंबर 21171-2024 और सुभाषिश पांडा उपाध्यक्ष डीडीए और अन्य, एसएमसी (सीआरएल) नंबर 2/2024 [मामला 2]