'हमने पहले भी कहा था, सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी की दिल्ली पहुँचने में 2 घंटे का समय लगने वाली दायर याचिका पर कहा

LiveLaw News Network

9 April 2021 10:39 AM GMT

  • हमने पहले भी कहा था, सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी की दिल्ली पहुँचने में 2 घंटे का समय लगने वाली दायर याचिका पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नोएडा निवासी द्वारा दायर उस रिट याचिका पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उसका सफर सड़क जाम के कारण सामान्य 20 मिनट के बजाय दो घंटे का समय ले रहा है।

    जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि,

    "सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए" और यह एक ऐसा पहलू है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों में बार-बार जोर दिया गया है।

    शुक्रवार की सुनवाई में सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि वह दिल्ली सरकार की ओर से पेश हो रहे है, जिस पर जस्टिस कौल ने जवाब दिया कि दिल्ली सरकार ने कहा था कि एसजी हरियाणा और यूपी सरकारों के लिए पेश हो रहे हैं।

    न्यायमूर्ति कौल ने आगे कहा,

    "हम इस बात से चिंतित नहीं हैं कि आप इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं, चाहे राजनीतिक रूप से, प्रशासनिक रूप से या न्यायिक रूप से। लेकिन, हमने पहले भी यह कहा है कि सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। यह एकल माँ है, जिसे सड़क जाम के कारण कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है।"

    तदनुसार, एसजी ने हरियाणा और यूपी राज्यों के निहितार्थ के लिए अनुरोध किया, जिसे अदालत ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी के साथ अनुमति दी।

    अब इस मामले की सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।

    29 मार्च, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किया था कि सड़क क्षेत्र को स्पष्ट रखा जाए ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का मार्ग प्रभावित न हो।

    याचिकाकर्ता मोनिस्का अग्रवाल ने व्यक्तिगत रूप से पेश होहे हुए अदालत को बताया कि वह नोएडा में रहती हैं और उन्हें अपनी मार्केटिंग की नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आना-जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सड़कों को साफ रखने के लिए न्यायालय द्वारा कई दिशा-निर्देश दिए जाने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ है। इसके अलावा, विभिन्न बीमारियों से जूझने के चलते और सिंगल मदर होने के नाते उनके लिए नोएडा से दिल्ली आना जाना किसी बुरे सपने की तरह बन गया है।

    केस का नाम: मोनिका अग्रवाल बनाम भारत संघ और अन्य।

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