'क्या पश्चिम बंगाल के हालात इतने अभूतपूर्व हैं कि पुलिस को ECI के तहत रखा जाए?' SIR के दौरान BLOs को रोकने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

9 Dec 2025 8:38 PM IST

  • क्या पश्चिम बंगाल के हालात इतने अभूतपूर्व हैं कि पुलिस को ECI के तहत रखा जाए? SIR के दौरान BLOs को रोकने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सनातनी संसद नामक संगठन की याचिका पर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को नोटिस जारी किया। इस याचिका में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद पश्चिम बंगाल राज्य की वोटर लिस्ट के फाइनल पब्लिकेशन तक राज्य पुलिस अधिकारियों को ECI के डेप्युटेशन पर तैनात करने के निर्देश देने की मांग की गई।

    कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य को उस याचिका पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें SIR पूरा होने तक राज्य में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स (CISF) तैनात करने के लिए वैकल्पिक निर्देश देने की भी मांग की गई।

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील वी गिरी ने भारत के चीफ जस्टिस सूर्यकांत (CJI) और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को बताया कि पश्चिम बंगाल में SIR ड्यूटी कर रहे बूथ लेवल ऑफिसर्स के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं, इसलिए सेंट्रल फोर्स की तैनाती की जरूरत है, क्योंकि राज्य इसके खिलाफ है।

    गिरी ने कहा,

    "BLOs को सुरक्षा दी जानी चाहिए।"

    उन्होंने BLOs के लिए अंतरिम सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया।

    हालांकि, जस्टिस बागची ने बताया कि एक FIR के अलावा, याचिका में किसी और घटना का ज़िक्र नहीं है।

    जस्टिस बागची ने कहा,

    "एक FIR के अलावा, कुछ भी नहीं है। बताई गई दूसरी घटनाएं ऐतिहासिक संदर्भ हैं। सामग्री अनुमानित है।"

    ECI के सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि पुलिस राज्य के हाथ में है।

    उन्होंने कहा,

    "राज्य सरकार को हमारे साथ सहयोग करना चाहिए और हमें सुरक्षा देनी चाहिए। अगर राज्य सरकार ऐसा करने से मना करती है तो हमारे पास लोकल पुलिस को डेपुटेशन पर लेने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है। जब तक हम डेपुटेशन पर नहीं लेते....अगर हमें लोकल पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो हमें सेंट्रल फोर्स लेनी होगी।"

    द्विवेदी ने कहा कि राज्य को एक कड़ा पत्र लिखा गया, क्योंकि BLOs को रोकने और चुनाव अधिकारियों को घेरने के मामले सामने आए हैं। जस्टिस बागची ने दूसरे जुड़े मामलों में कुछ याचिकाकर्ताओं की दलीलों का ज़िक्र किया कि BLOs के थक जाने की वजह से इलेक्टोरल ऑफिसर्स को घेरा जा रहा था।

    द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट्स समेत कई "पॉलिटिकल नैरेटिव्स" चल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हर पोलिंग बूथ पर वोटर्स की संख्या 1500 से घटाकर 1200 कर दी गई। BLOs को हर दिन सिर्फ़ 35 वोटर्स को ट्रैक करना होगा, और एक ही घर में कई वोटर्स मिल सकते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

    द्विवेदी ने कहा,

    "इसलिए कोई स्ट्रेस नहीं है।"

    जस्टिस बागची इससे सहमत नहीं दिखे और कहा,

    "यह कोई डेस्क वर्क नहीं है। BLO को हर घर जाना होता है, वेरिफाई करना होता है। फिर उसे एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करना होता है। यह उस पर प्रेशर है। इसीलिए हमने राज्यों को BLOs की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया।"

    जस्टिस बागची ने कहा,

    "हम यह पक्का करना चाहते हैं कि SIR बिना किसी गड़बड़ी के ज़मीन पर हो। हम किसी नैरेटिव पर नहीं हैं।"

    द्विवेदी ने जवाब दिया कि BLOs पर दबाव पॉलिटिकल पार्टियों के दखल की वजह से है। उन्होंने कहा कि केरल में कांग्रेस पार्टी की तरफ से एक BLO के सुसाइड के लिए CPI(M) के दबाव को ज़िम्मेदार ठहराने की खबरें हैं। बेंच ने कहा कि वह पॉलिटिकल पार्टियों के बीच "ब्लेम गेम" में नहीं पड़ना चाहती।

    CJI ने द्विवेदी से कहा,

    "आप हमें बताएं कि BLOs के काम करने में क्या रुकावट आ रही है।"

    ECI के वकील ने जवाब दिया कि सुरक्षा पक्की करना राज्य का काम है, ऐसा न करने पर ECI को लोकल पुलिस को अपने डेप्युटेशन पर लेने का बड़ा कदम उठाना होगा।

    जस्टिस बागची ने कहा,

    "जब तक चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती, पुलिस इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती।"

    द्विवेदी ने कहा कि ECI ने सुरक्षा के लिए राज्य को लिखा है।

    जस्टिस बागची ने कहा,

    "आप राज्य से रिक्वेस्ट करें। अगर इस बारे में कोई शिकायत है, तो आप हमारे सामने आएं। हम सही ऑर्डर देंगे।"

    जस्टिस बागची ने आगे कहा कि रिट याचिका सिर्फ़ अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर फाइल की गई।

    जस्टिस बागची ने पूछा,

    "यह FIR की एक अकेली घटना है। क्या हम कह सकते हैं कि यह स्थिति सिर्फ़ पश्चिम बंगाल के लिए अनोखी और खास है और किसी दूसरे राज्य में कोई रुकावट नहीं है?"

    जस्टिस बागची ने कहा,

    "हमें आपके मामले से हमदर्दी है। हालांकि, हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह एक तरफ से कही जा रही बात है। रुकावट के फोरेंसिक सबूत के तौर पर हमें सिर्फ़ एक FIR मिली है। इस स्थिति में क्या हम कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल के हालात इतने अलग हैं कि सिर्फ़ उसी राज्य के लिए कोई खास निर्देश जारी किया जाना चाहिए? क्या भारत के सभी राज्यों की सभी पुलिस को इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के कंट्रोल में रखा जा सकता है?"

    जस्टिस बागची ने आगे कहा,

    "EC को कुछ भी करने के लिए कहने से पहले आपको पहले प्राइमा फेसी केस की हद पार करनी होगी। अगर मिस्टर द्विवेदी को किसी राज्य की तरफ से सहयोग की कमी का पता है तो वह हमसे संपर्क कर सकते हैं, और हम सही निर्देश देंगे।"

    CJI कांत ने कहा कि अगर ECI ने संपर्क किया होता तो कोर्ट इस मामले पर विचार करता।

    CJI कांत ने कहा,

    "आपके (ECI) आने की जगह, कोई और हमारे पास आया है। जैसा कि मेरे भाई ने सही कहा, हम किसी एक मामले के आधार पर इस बात को नहीं मान सकते। लेकिन हम आपको नोटिस जारी कर रहे हैं। आपका जवाब चाहिए, सिर्फ़ पश्चिम बंगाल के बारे में नहीं, बल्कि अलग-अलग राज्यों से आपको मिल रहे सहयोग या सहयोग की कमी के बारे में भी। अगर BLOs को धमकाया जा रहा है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है।"

    द्विवेदी ने कहा कि ECI के पास केंद्र से मदद मांगने का अधिकार है।

    CJI कांत ने बताया कि ECI ने अभी तक उस ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं किया।

    द्विवेदी ने जवाब दिया कि ECI ने यह बड़ा कदम इसलिए टाल दिया, क्योंकि यह एक "संवेदनशील मुद्दा" है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ECI BLOs की सुरक्षा पक्का करने के लिए कड़े कदम उठाएगा।

    Case : SANATANI SANGSAD Vs ELECTION COMMISSION OF INDIA | W.P.(C) No. 1216/2025

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