हमें जानना होगा कि जस्टिस नागरत्ना ने कॉलेजियम में जस्टिस पंचोली की पदोन्नति के खिलाफ असहमति क्यों जताई: जस्टिस ओक

Shahadat

28 Aug 2025 10:28 AM IST

  • हमें जानना होगा कि जस्टिस नागरत्ना ने कॉलेजियम में जस्टिस पंचोली की पदोन्नति के खिलाफ असहमति क्यों जताई: जस्टिस ओक

    नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय ओक ने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है कि जस्टिस विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति पर जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति सार्वजनिक नहीं की गई।

    सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह के इस सवाल का जवाब देते हुए कि कॉलेजियम किस तरह यह तय करता है कि किसे नियुक्त किया जाए, उन्होंने कहा,

    "यह बेहद चिंता का विषय है... आप सही कह रही हैं कि एक जज ने असहमति जताई, हमें यह जानना चाहिए कि वह असहमति क्या है। आपकी यह आलोचना जायज़ है कि असहमति सार्वजनिक क्यों नहीं की गई।"

    यह टिप्पणी सीनियर एडवोकेट एस. मुरलीधर द्वारा संपादित और जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक "इन] कम्प्लीट जस्टिस? द सुप्रीम कोर्ट एट 75" के विमोचन के दौरान आई। इस कार्यक्रम में जस्टिस ओक, प्रोफेसर गोपाल गुरु और मुरलीधर के बीच मनीषा पांडे द्वारा संचालित एक संवाद भी हुआ।

    प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, जयसिंह ने पूछा–

    “क्या हम असहमति में रुचि रखते हैं, जो 10 साल में देश का कानून बन जाएगी या हम तुरंत विरोध प्रदर्शन करेंगे? कॉलेजियम इतनी गोपनीयता से कैसे काम करता है? आज हमारे सामने इस देश की एकमात्र महिला जज की असहमति है, जिन्होंने कहा कि वह कॉलेजियम के बहुमत के उस फैसले से असहमत हैं, जिसमें जूनियर जज को भारत का भावी चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। मैं जानना चाहती हूं कि भारत के भावी चीफ जस्टिस के चयन के मानदंड क्या हैं? मेरी राय में वे वैचारिक हैं। एक बहुसंख्यक हिंदुत्व सरकार न्यायपालिका में अपने लोगों को चाहती है और आप जजों ने इस बारे में क्या किया?”

    जस्टिस ओक ने इस बात पर सहमति जताई कि असहमति सार्वजनिक होनी चाहिए, लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नियुक्तियों में पारदर्शिता उम्मीदवारों की गोपनीयता के साथ संतुलित होनी चाहिए।

    जस्टिस ओक ने कहा,

    "कॉलेजियम 10, 15, 20 वकीलों के मामलों पर विचार करता है, कॉलेजियम कहेगा कि वह मानकों पर खरे नहीं उतरते, उनकी प्रतिष्ठा संदिग्ध है - क्या हमें उन लोगों की निजता की चिंता नहीं है, जिन्होंने स्वेच्छा से सहमति दी, क्योंकि अगर 10 मामलों पर विचार किया जाता है, तो 5 की सिफ़ारिश नहीं की जाएगी? और बाकी पांच, अगर वे सार्वजनिक डोमेन में हैं तो उन्हें वापस जाकर प्रैक्टिस करनी होगी। इसलिए निजता का मुद्दा भी है... हमें निजता के साथ संतुलन बनाना होगा।"

    केंद्र सरकार ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की, कॉलेजियम द्वारा उनकी पदोन्नति की सिफ़ारिश के दो दिन बाद।

    रिपोर्टों से पता चलता है कि जस्टिस नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की पदोन्नति पर कॉलेजियम की बैठक में असहमति जताई थी। उन्होंने अखिल भारतीय सीनियरिटी में उनकी अपेक्षाकृत कम रैंक का हवाला दिया और 2023 में गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में उनके स्थानांतरण पर चिंता जताई। यह भी ध्यान दिया गया कि गुजरात हाईकोर्ट के दो जज पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में हैं। कॉलेजियम के आधिकारिक बयान में उनकी असहमति का उल्लेख नहीं किया गया और न ही निर्णय के कारणों का उल्लेख किया गया।

    सीनियरिटी के नियम के अनुसार, जस्टिस पंचोली अक्टूबर, 2031 से मई, 2033 तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बनने की कतार में हैं।

    सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने सवाल उठाया कि तीन सीनियर महिला जजों- जस्टिस सुनीता अग्रवाल (गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस), जस्टिस रेवती मोहिते डेरे (बॉम्बे हाईकोर्ट) और जस्टिस लिसा गिल (पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट) को पदोन्नति के लिए क्यों नहीं माना गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में केवल एक महिला जज जस्टिस नागरत्ना हैं।

    जयसिंह ने यह भी कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति से गुजरात हाईकोर्ट के जजों का प्रतिनिधित्व और बढ़ेगा, क्योंकि जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस एनवी अंजारिया को भी यहीं से पदोन्नत किया गया था।

    एक अन्य पोस्ट में, जयसिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2021 में जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी की नियुक्तियों के बाद किसी अन्य महिला जज की नियुक्ति नहीं हुई, जबकि चार चीफ जस्टिस के अधीन सुप्रीम कोर्ट में 28 नियुक्तियां की जा चुकी हैं।

    जस्टिस नागरत्ना की असहमति की खबरों के बाद न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (CJAR) ने एक बयान जारी कर उनके असहमति पत्र को प्रकाशित करने और जस्टिस पंचोली के 2023 में गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में स्थानांतरण के कारणों का खुलासा करने का आह्वान किया, जो कि खबरों के अनुसार, एक नियमित स्थानांतरण नहीं था।

    इस कार्यक्रम को यहां देखा जा सकता है।

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