'आपने नो‌टिस जारी करने के लिए एक मामला बनाया है': सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा मामलों में सीबीआई जांच के खिलाफ दायर पश्‍चिम बंगाल सरकार की याचिका पर कहा

LiveLaw News Network

28 Sep 2021 9:55 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह कहते हुए कि पश्चिम बंगाल ने चुनाव बाद हिंसा के मामलों में सीबीआई जांच के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनाया है, अपनी याचिका पर नोटिस जारी किया।

    जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, "हमने पाया कि आपने नोटिस जारी करने के लिए एक मामला बनाया है"।

    पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 19 अगस्त के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार किया। पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई के लिए सात अक्टूबर की तारीख तय की।

    पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने निम्नलिखित व्यापक बिंदु उठाए,

    -2 मई से 5 मई के बीच कानून और व्यवस्था चुनाव आयोग की निगरानी में थी।

    -"चुनाव बाद हिंसा" की परिभाषा को फैलाया गया। सरकार बनने के बाद हुए सामान्य अपराधों को भी "चुनाव बाद हिंसा" के दायरे में लाया गया।

    -एनएचआरसी की फैक्ट फाइंडिंग टीम में ऐसे सदस्य शामिल थे, जिनका भाजपा के साथ खुला संबंध है। इसलिए पूर्वाग्रह की आशंका है।

    -एनएचआरसी की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

    -हाईकोर्ट का आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है, क्योंकि राज्य को जवाब देने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। राज्य को सात दिनों के भीतर हजारों शिकायतों का जवाब देने के लिए कहा गया था। कोई भी जांच सात दिनों के भीतर पूरी नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट ने राज्य द्वारा रखी गई सामग्री पर विचार भी नहीं किया।

    -एक संघीय ढांचे में राज्य सरकार को पर्याप्त अवसर दिए बिना उसे फटकार नहीं लगाई जा सकती।

    -हाईकोर्ट ने राज्य को एनएचआरसी समिति की अंतरिम रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत किए बिना आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने राज्य के साथ बलात्कार की शिकायतों के अनुलग्नकों को यह कहते हुए साझा करने से इनकार कर दिया कि पीड़ितों की गुमनामी को सुरक्ष‌ित रखने की आवश्यकता है।

    -सीबीआई को मामलों को सामूहिक रूप से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। सीबीआई जांच का आदेश देने से पहले, मामला-दर-मामला स्थानीय पुलिस की ओर से विफलता का पता लगाना होगा।

    सिब्बल ने कहा, "उन्होंने कहा कि राज्य की ओर से निष्क्रियता है, आदि। क्या होता है यह पूरे देश में दिखाया जाता है, राज्य की प्रतिष्ठा का भी मामला है। आप हमें अवसर नहीं देते हैं, आप हमें डांटते हैं और आप एक आदेश पारित करते हैं!"

    लगभग दो घंटे तक सिब्बल को सुनने के बाद, पीठ ने कहा, "श्री सिब्बल, आपने नोटिस जारी करने के लिए एक मामला बनाया है। देखते हैं उनका क्या कहना है। हम सुनेंगे, यह एक बार में ही हो जाता है जब दूसरा पक्ष भी होता है। हम पाते हैं कि आपने नोटिस के लिए एक मामला बनाया है"।

    पीठ द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद, सिब्बल ने पीठ से यह टिप्पणी मांगी कि सीबीआई जांच मामले के परिणाम के अधीन होगी। पीठ ने कहा कि बिना विशिष्ट आदेश पारित किए भी ऐसा ही समझा जाता है।

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