हम सीनियर एडवोकेट को विशेष प्राथमिकता देना और जूनियर एडवोकेट को वंचित रखना नहीं चाहते : मुख्य न्यायाधीश रमाना

LiveLaw News Network

11 Aug 2021 6:33 AM GMT

  • जस्टिस एन वी रमना

    जस्टिस एन वी रमना

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने बुधवार को कहा कि सीनियर एडवोकेट और जूनियर एडवोकेट के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए मामलों की तत्काल सूचीबद्ध के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष मेंशन करने की व्यवस्था की गई है।

    सीजेआई रमाना ने कहा,

    "हम सीनियर्स को कोई विशेष प्राथमिकता नहीं देना चाहते हैं और जूनियर्स को उनके अवसरों से वंचित करना नहीं चाहते हैं। इसलिए यह सिस्टम बनाया गया है, जहां सभी मेंशन करने वाले मामलों को रजिस्ट्रार के समक्ष मेंशन कर सकते हैं।"

    सीजेआई ने यह टिप्पणी उस समय की जब अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मेंशन सिस्टम के बारे में शिकायत की।

    भूषण ने कहा,

    "अत्यावश्यक ज्ञापन दायर किए जाने के बाद भी मामले ठंडे बस्ते में पड़े रहते हैं।"

    सीजेआई ने जवाब दिया कि मेंशनिंग रजिस्ट्रार के समक्ष मेमो ले जाने की प्रणाली अधिवक्ताओं के बीच अधिक समानता लाएगी।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने के बाद सीजेआई रमाना ने वकीलों को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उनके समक्ष मामलों का प्रत्यक्ष मौखिक उल्लेख करने की अनुमति देने की प्रथा को बंद कर दिया। इसके बजाय, मामलों की तत्काल सूचीबद्धता के लिए संबंधित रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होगा।

    सीजेआई ने भूषण से कहा,

    "पहले आप मेंशन करने वाले रजिस्ट्रार के पास जाते हैं। अगर इसे खारिज कर दिया जाता है, तो आप यहां आते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि किसी को विशेष प्राथमिकता न मिले।"

    भूषण ने जवाब दिया कि समस्या यह थी कि रजिस्ट्रार के कहने के बाद भी मामलों को सूचीबद्ध नहीं किया जाता है कि उन्होंने तत्काल लिस्टिंग की अनुमति दी है।

    भूषण ने कहा,

    "समस्या यह है कि... रजिस्ट्रार इसे खारिज नहीं करते। उनका कहना है कि उन्होंने इसे ठीक कर दिया है लेकिन मामला सूचीबद्ध नहीं है।"

    सीजेआई ने तब भूषण से ऐसे विशिष्ट मामलों को अपने संज्ञान में लाने को कहा।

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