दिल्ली हिंसा : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, फिर ' 1984' नहीं होने देंगे, दिशा- निर्देश जारी

LiveLaw News Network

26 Feb 2020 10:49 AM GMT

  • दिल्ली हिंसा : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, फिर  1984 नहीं होने देंगे, दिशा- निर्देश जारी

    दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्सों में दंगों में घायल हुए लोगों के लिए सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए दिशा- निर्देश जारी किए हैं।

    जस्टिस आर मुरलीधर की पीठ ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, "इस कोर्ट के रहते दिल्ली में फिर से '1984' नहीं होने दिया जा सकता। पीठ ने कहा कि ये समय लोगों में भरोसा दिलाने का है। लोगों में मन में डर खत्म करने के लिए अधिकारी पीड़ितों से जाकर मिलें। अदालत ने जुबैदा बेगम को एमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया है।

    हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिन लोगों की मृत्यु हो गई है उनके लिए सुरक्षित मार्ग और यह आश्वासन हो कि उनका अंतिम संस्कार सम्मान के साथ हो। पीठ ने तुरंत हेल्पलाइन स्थापित करने और उन्हें प्रचारित करने को कहा है। पुलिस को समय पर पहुंचने और पर्याप्त निजी एम्बुलेंस के लिए सुरक्षित मार्ग एम्बुलेंस सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

    पीठ ने कहा कि यदि पर्याप्त आश्रय स्थल नहीं हैं , तो सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर निपटना चाहिए कि पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थल स्थापित किए जा सकें। इन आश्रय स्थलों में, कंबल, दवाइयां, स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल सहित बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। न्यायालय ने जिला कानूनी सेवाओं के अधिकारियों के विभिन्न सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पीड़ितों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए उनकी हेल्पलाइन कम से कम अगले दो सप्ताह तक 24x7 काम करें।

    पीठ ने दंगा पीड़ितों की मदद के लिए मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान के निदेशक को पर्याप्त संख्या में पेशेवरों को प्रदान करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

    पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। दरअसल इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के आवास पर मंगलवार रात 12.30 बजे एक आपातकालीन मध्यरात्रि सुनवाई हुई।

    यह याचिका सुविधाओं की कमी वाले छोटे अस्पताल मुस्तफाबाद के अल हिंद अस्पताल से गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को दिलशाद गार्डन में जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए थी।

    जस्टिस आर मुरलीधर और जस्टिस अनुप जयराम भंभानी की पीठ ने जस्टिस मुरलीधर के आवास पर 12.30 बजे सुनवाई शुरू की थी।

    वकील सुरूर मंदर ने फोन पर जस्टिस मुरलीधर को अल हिंद अस्पताल में फंसे पीड़ितों की विकट परिस्थितियों के बारे में बताया। वकील सुरूर ने स्पीकर मोड के माध्यम से बेंच को अल हिंद अस्पताल में डॉ अनवर के बीच फोन पर बातचीत की भी व्यवस्था की।

    डॉ अनवर ने बताया कि अल हिंद अस्पताल में 2 मृत व्यक्ति और लगभग 22 घायल व्यक्ति है और वह 25 फरवरी के लगभग 4 बजे से पुलिस सहायता लेने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सफलता नहीं मिली।

    सुनवाई में दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के वकील संजय घोष और डीसीपी (क्राइम) राजेश देव उपस्थित थे। डीसीपी ने डॉ अनवर को डीसीपी(पूर्व) दीपक गुप्ता का फोन नंबर दिया और गुप्ता को अल हिंद अस्पताल पहुंचाने का निर्देश दिया।

    सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश दिया:

    "इस स्तर पर न्यायालय मुख्य रूप से घायलों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ जुड़ा है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करनी है, जिसके लिए उस उद्देश्य के लिए निकटतम उपलब्ध सरकारी अस्पतालों में घायल पीड़ितों के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करना है।

    तदनुसार कोर्ट दिल्ली पुलिस को निर्देश देती है कि वह इस आदेश के आधार पर सभी संसाधनों को तैनात करके ऐसे सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करे और यह भी सुनिश्चित करे कि सुरक्षित मार्ग के अलावा, घायल पीड़ितों को तत्काल आपातकालीन उपचार मिले, यदि जीटीबी अस्पताल में नहीं तो LNJP अस्पताल या मौलाना आज़ाद या कोई अन्य सरकारी अस्पताल में।"

    आदेश के आदेश के दौरान, डीसीपी ( क्राइम) ने पीठ को सूचित किया कि पुलिस घायलों को निकटतम अस्पताल में पहुंचाने की प्रक्रिया में है।

    बेंच ने दिल्ली पुलिस को अनुपालन की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है, जिसमें घायल पीड़ितों के बारे में जानकारी और उपचार की जानकारी शामिल है। पीठ ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी।

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