'हम रोहिंग्या बच्चों से स्कूलों में दाखिले के लिए कह रहे हैं, इसका मतलब है कि वे इसके हकदार हैं': सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका का निपटारा किया

Shahadat

1 March 2025 4:15 AM

  • हम रोहिंग्या बच्चों से स्कूलों में दाखिले के लिए कह रहे हैं, इसका मतलब है कि वे इसके हकदार हैं: सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका का निपटारा किया

    सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सरकारी लाभ और स्कूल में दाखिले की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि वह चाहता है कि बच्चे दाखिले के लिए स्कूलों में जाने की पहल करें।

    हालांकि, साथ ही कोर्ट ने बच्चों को दिल्ली हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता बरकरार रखी, अगर स्कूल उनके हकदार होने के बावजूद दाखिला देने से इनकार करते हैं।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने इसी तरह की राहत मांगने वाले अन्य मामले में पारित आदेश के समान ही आदेश पारित किया, जहां कोर्ट ने कहा था कि रोहिंग्या बच्चों के लिए उचित कदम यह होगा कि वे पहले संबंधित सरकारी स्कूलों (जिनके लिए वे पात्रता का दावा करते हैं) में जाएं।

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने दोनों मामलों में अंतर करने का प्रयास करते हुए सुनवाई के दौरान आग्रह किया कि दूसरे मामले में याचिकाकर्ता ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पहले के मामलों में दिए गए आश्वासन को न्यायालय के संज्ञान में नहीं लाया कि रोहिंग्या बच्चों के साथ अन्य बच्चों के समान व्यवहार किया जाएगा (शिक्षा तक पहुंच के मामले में)। हालांकि, पीठ इससे सहमत नहीं थी।

    हालांकि गोंजाल्विस ने न्यायालय से एसजी के आश्वासन के संदर्भ में कुछ पंक्तियां जोड़ने का अनुरोध किया, जिसमें कहा गया कि न्यायालय की एक पंक्ति कल 500 रोहिंग्या बच्चों को सीधे स्कूल भेज सकती है, लेकिन पीठ ने अपने पहले के आदेश से आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

    गोंजाल्विस ने आग्रह किया,

    "हमें किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो कहे कि वे जाने के हकदार हैं।"

    जस्टिस कांत ने उत्तर दिया,

    "यह तथ्य कि हम उन्हें स्कूल जाने के लिए कह रहे हैं, इसका मतलब है कि वे हकदार हैं। एक बार जब हम कह देते हैं तो हम एक अधिकार बना रहे हैं।"

    जज ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि एक बार बच्चों को एडमिशन मिल जाने के बाद वे यूनिफॉर्म, किताबें आदि के भी हकदार होंगे।

    बता दें कि वर्तमान जनहित याचिका रोहिंग्या शरणार्थी परिवारों को आधार कार्ड पर जोर दिए बिना और नागरिकता की स्थिति की परवाह किए बिना स्कूल में एडमिश और सरकारी लाभ प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।

    केस टाइटल: रोहिंग्या मानवाधिकार पहल (रोहिंग्या) और अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 57/2025

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