'अभी तक तो हम ठीक हैं, लेकिन न जाने जांच का परिणाम क्या होगा, हम अलग-अलग बैठने को मजबूर हैं: सीजेआई एसए बोबडे

LiveLaw News Network

9 Sep 2020 1:49 PM GMT

  • अभी तक तो हम ठीक हैं, लेकिन न जाने जांच का परिणाम क्या होगा, हम अलग-अलग बैठने को मजबूर हैं: सीजेआई एसए बोबडे

    मुंबई तटीय सड़क परियोजना से संबंधित भूमि भराव कार्य पर रोक लगाने संबंधी एक याचिका की सुनवाई स्थगित करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि चूंकि आसन्न जांच रिपोर्ट के मद्देनजर ज्यादातर न्यायाधीश अलग-अलग बैठे हैं और बेंच मामले की सुनवाई नहीं कर सकेगी।

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे उस वक्त अपनी दलील शुरू करने ही वाले थे, जब सीजेआई ने कहा कि वे 'आज कठिनाई' में हैं क्योंकि वे लोग अलग-अलग बैठने को मजबूर हैं।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

    "हममें से ज्यादातर अलग-अलग बैठे हैं।"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने भी इसे महसूस किया है और उम्मीद करते हैँ कि सभी न्यायाधीश ठीक कुशल होंगे।

    इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

    "अभी तक तो हम ठीक हैं, लेकिन हमें सावधानी के तौर पर अलग-अलग बैठने को कहा गया है।"

    सीजेआई ने आगे कहा कि अभी तक वे लोग ठीक हैं, लेकिन अभी कुछ नहीं पता। जांच के परिणाम के अनुसार मामले की सुनवाई आगे भी स्थगित हो सकती है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस पर कहा कि वैसी स्थिति में मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित की जा सकती है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि परियोजना संबंधी भूमि भराव कार्य व्यापक पैमाने पर जारी है। उन्होंने केवल एक सप्ताह के लिए ही सुनवाई स्थगित करने की मांग की।

    इस पर सीजेआई ने जवाब दिया,

    "यदि आप अगले सप्ताह सुनवाई चाहते हैं तो हम नहीं जानते..., दरअसल बात यह है कि हम कुछ नहीं जानते, लेकिन चिंता मत कीजिये, हम इसका ध्यान रखेंगे।"

    गत 25 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने श्री दीवान की दलीलों के बावजूद भूमि-भराव कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। श्री दीवान ने दलील दी थी कि अधिकारियों द्वारा कराया जा रहा भूमि भराव कार्य सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसम्बर 2019 के आदेश के प्रतिकूल है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश में किसी भी विकास कार्य पर रोक की ओर इंगित किया था। हालांकि कोर्ट ने रोक लगाने के बजाय सभी हितधारकों से जवाब मांगा था।

    गौरतलब है कि खंडपीठ के तीनों सदस्य आज एक साथ नहीं बैठे थे। तीनों अपने-अपने चैम्बर से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़े थे।

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