मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का पर्याप्त सबूत, मुंबई की अदालत ने दो लोगों को बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ करने के आरोप से किया बरी

LiveLaw News Network

20 Feb 2020 4:52 AM GMT

  • मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का पर्याप्त सबूत, मुंबई की अदालत ने दो लोगों को बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ करने के आरोप से किया बरी

    मुंबई में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने हाल ही में मुंबई पुलिस द्वारा बांग्लादेश से यहां घुसपैठ करने के आरोप में पकड़े गए दो लोगों को बरी कर दिया।

    इस मामले में न्यायालय ने माना कि एक निर्वाचन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण है, क्योंकि किसी व्यक्ति को जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रपत्र 6 के मद्देनजर संबंधित प्राधिकारी के समक्ष घोषणा पत्र दाखिल करना होता है कि वह भारत का नागरिक है और यदि घोषणा मिथ्या पाई जाती है तो उस व्यक्ति को दंड मिलना चाहिए।

    एसीएमएम एएच काशीकर ने अब्बास शेख और उनकी पत्नी राबिया खातून साहिख को बरी कर दिया, जिन्हें पासपोर्ट नियम 3 और नियम 6 (भारत में प्रवेश) 1950, विदेशी नियम 1948 के पैरा 3 (1) जो विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14 के तहत दंडनीय है, की शर्तों के उल्लंघन के लिए आरोपी बनाया गया था।

    केस की पृष्ठभूमि

    पुलिस ने अदालत को बताया कि मार्च 2017 में प्राप्त "गुप्त सूचना" के आधार पर इन्हें गिरफ्तार किया गया। सूचना में कहा गया था कि कुछ "बांग्लादेशी घुसपैठिए" रे रोड़, मुंबई में रहते हैं।

    पुलिस ने आगे कहा कि जांच में पता चला है कि आरोपी व्यक्ति बांग्लादेश में फैली गरीबी और भुखमरी के कारण बिना वैध दस्तावेज़ के अवैध रास्ते से भारत में दाखिल हुए थे। भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं था।

    निर्णय

    एपीपी एससी लिंगायत ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एक प्रथम दृष्टया मामला कायम किया है और अभियुक्तों पर विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 9 के तहत यह साबित करने का भार है कि वे भारतीय नागरिक हैं, जैसा कि उन्होंने दावा किया है।

    अदालत ने कहा कि पहले आरोपी अब्बास शेख ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासबुक, हेल्थ कार्ड और राशन कार्ड पेश किया। एक अन्य आरोपी राबिया खातून ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र पेश किया।

    सबसे पहले, अदालत ने कहा कि ये दस्तावेज़ साक्ष्य में स्वीकार्य हैं, ये सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ हैं।

    अदालत ने कहा,

    "आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्रऔर राशन कार्ड को ध्यान में रखना उचित है, जो सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए दस्तावेज़ हैं और इन्हें सार्वजनिक दस्तावेज़ कहा जा सकता है। वे साक्ष्य में स्वीकार्य हैं।"

    हालांकि, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड को नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज नहीं कहा जा सकता, लेकिन निर्वाचन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का एक पर्याप्त प्रमाण हो सकता है।"

    निर्णय में कहा गया कि

    "यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड किसी व्यक्ति की नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज़ नहीं माने जा सकते, क्योंकि उक्त दस्तावेज़ नागरिकता साबित करने के उद्देश्य से नहीं बनाए गए हैं।

    जन्म प्रमाण पत्र , अधिवास प्रमाण पत्र, बोनाफाइड प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आदि दस्तावेज़ों पर किसी भी व्यक्ति के मूल को स्थापित करने के लिए भरोसा किया जा सकता है। यहां तक ​​कि निर्वाचन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र को नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण कहा जा सकता है, क्योंकि इसके लिए आवेदन करते समय व्यक्ति को जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रपत्र 6 के अनुसार संबंधित प्राधिकारी के समक्ष घोषणा पत्र दाखिल करना होता है कि वह भारत का नागरिक है और यदि घोषणा मिथ्या पाई जाती है तो उस व्यक्ति को दंड मिलना चाहिए।

    मेरे विचार से ऐसी घोषणा नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त है , जब तक कि अभियोजन पक्ष इसे मिथ्या साबित न कर दे। यह देखा जा सकता है कि आरोपी नंबर 2 और 3 ने अपनी नागरिकता साबित करने के अपने मूल मतदाता कार्ड न्यायालय के रिकॉर्ड में किए पेश हैं। "

    इस प्रकार, दोनों अभियुक्तों को यह कहते हुए बरी कर दिया गया कि "अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पासपोर्ट नियम 3 और नियम 6 (भारत में प्रवेश) 1950, विदेशी नियम 1948 के पैरा 3 (1) जो विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14 के तहत दंडनीय के तहत लगाए गए आरोपों को साबित करने में विफल रहा।

    हाल ही में, असम-एनआरसी और असम समझौते के संदर्भ में, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने दो निर्णयों में कहा कि मतदाता कार्ड, पैन कार्ड, बैंक दस्तावेज और भूमि कर के भुगतान की रसीद से नागरिकता साबित नहीं होगी।

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