पैन कार्ड, बैंक दस्तावेज़, भूमि राजस्व की रसीद से किसी व्यक्ति की नागरिकता साबित नहीं होती : गुवाहाटी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

17 Feb 2020 4:18 AM GMT

  • पैन कार्ड, बैंक दस्तावेज़, भूमि राजस्व की रसीद से किसी व्यक्ति की नागरिकता साबित नहीं होती : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि भूमि राजस्व (Land Revenue) के भुगतान की रसीद के आधार पर किसी व्यक्ति की नागरिकता साबित नहीं होती है। साथ ही, अपने पिछले फैसले के बाद, न्यायालय ने माना कि पैन कार्ड और बैंक दस्तावेज़ भी नागरिकता साबित नहीं करते हैं।

    न्यायमूर्ति मनोजीत भुयान और न्यायमूर्ति पार्थिवज्योति सैकिया की पीठ ने विदेशी ट्रिब्यूनल, बक्सा के आदेश के खिलाफ ज़ुबैदा बेगम द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। इस आदेश में ज़ुबैदा बेगम को 1971 के घटनाक्रम के परिपेक्ष्य में विदेशी घोषित किया गया था।

    पुलिस अधीक्षक (बी) के एक संदर्भ के आधार पर विदेशी ट्रिब्यूनल, बक्सा, तामुलपुर, असम ने याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर उसे भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कहा था।

    ट्रिब्यूनल से पहले, उसने कहा कि उसके माता-पिता के नाम 1966 की वोटर लिस्ट में थे। उसने दावा किया कि उसके दादा-दादी के नाम भी 1966 की वोटर लिस्ट में दिखाई दिए थे। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि सन 1970 और सन 1997 की मतदाता सूची भी में भी उसके पिता का नाम था।

    ट्रिब्यूनल ने पाया कि याचिकाकर्ता अपने अनुमानित माता-पिता के साथ संबंध दिखाने वाला कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सकी। हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के इन निष्कर्षों से सहमति व्यक्त की।

    पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों पर याचिकाकर्ता की निर्भरता को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा,

    "भारत में यह मामला बाबुल इस्लाम बनाम भारत संघ [WP(C)/3547/2016] में पहले ही आयोजित किया जा चुका है कि पैन कार्ड और बैंक दस्तावेज़ नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं।"

    इस फैसले में कहा गया था कि समर्थित साक्ष्य के अभाव में केवल एक मतदान फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करना नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।

    मतदान फोटो पहचान पत्र नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं : गुवाहाटी हाईकोर्ट

    यह भी पाया गया कि याचिकाकर्ता अपने अनुमानित भाई के साथ संबंध दिखाते हुए दस्तावेज पेश नहीं कर सकी, जिसका नाम 2015 की मतदाता सूची में दिखाई दिया था। कोर्ट ने कहा कि गांव बूरा द्वारा जारी प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति की नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकता।

    पीठ ने कहा कि भूमि राजस्व के भुगतान प्राप्तियां (रसीद) किसी व्यक्ति की नागरिकता साबित नहीं करती हैं।

    इन निष्कर्षों पर हाईकोर्ट ने रिट याचिका को खारिज कर दिया और कहा,

    "हम पाते हैं कि ट्रिब्यूनल ने इससे पहले रखे गए साक्ष्यों की सही ढंग से सराहना की है और हम ट्रिब्यूनल के निर्णय में व्यापकता देख सकते हैं। यही स्थिति होने के नाते, हम इस बात को दोहराएंगे कि याचिकाकर्ता अपने अनुमानित माता-पिता और उसके अनुमानित भाई के साथ संबंध को साबित करने में विफल रही, इसलिए, हम पाते हैं कि यह रिट याचिका योग्यता रहित है और उसी के अनुसार, हम इसे खारिज करते हैं।"


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