वर्चुअल प्लेटफॉर्म ने सुप्रीम कोर्ट को सही मायने में 'नेशनल कोर्ट' बनाने में मदद की है: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

LiveLaw News Network

5 April 2022 3:41 AM GMT

  • जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़

    जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़

    उड़ीसा हाईकोर्ट और राज्य की जिला और अधीनस्‍थ अदालतों के लिए पेपरलेस फाइलिंग की सुव‌िधा ई-फाइलिंग 3.0 का हाल ही में उद्घाटन किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज डॉ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हुए।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने भाषण में उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ जस्टिस एस मुरलीधर द्वारा राज्य में न्यायालयों के डिजिटलीकरण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की।

    उन्होंने कहा कि आज जिन कदमों की अनावरण किया गया है, वे इस बात के स्पष्ट संकेतक हैं कि एक व्यक्ति व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए क्या कर सकता है। उन्होंने सरकार की ओर से किए गए सहयोग की पर भी खुशी जाहिर की।

    उन्होंने कहा कि न्यायालयों का डिजिटलीकरण एक दोनों पक्षों यानि राज्य सरकार और राज्य न्यायपालिका का प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यद्यपि न्यायिक कार्यों को सरकार से अलग रखना चाहिए, फिर भी प्रशासनिक पक्ष की ओर से, यह मिशन दोनों पक्षों के लिए एक जैसा है।

    तकनीकी को अपनाने की आवश्यकता

    ई-फाइलिंग और वल्नरेबल विटनेस डिपोजिशन सेंटर्स पर उन्होंने कहा कि वे प्रौद्योगिकी को न्याय के मानवीय चेहरे के साथ जोड़ते हैं। तकनीक की खूबी और ताकत यह है कि यह सरल होती जा रही है। तकनीक उतनी ही सरल है, जितनी सादगी हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवाओं ने तकनीक से शुरुआत की है और वे इसके साथ तैरते हैं। हालांकि, जजों की वरिष्ठ पीढ़ियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी मानसिकता बदलें और प्रौद्योगिकी के अनुकूल हों।

    उन्होंने याद दिलाया कि चूंकि हम ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण में हैं, इसलिए लोगों तक पहुंच महत्वपूर्ण है। नागरिकों तक तकनीक और अदालतों की पहुंच, अदालतों तक नागरिकों की पहुंच से अलग हैं।

    सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका

    उन्होंने सरकार की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को 'सबसे बड़ा वादी' कहा जाता है। सकारात्मक पक्ष से, यह सबसे बड़ा वादी है क्योंकि यह हमारे समाज में कल्याणकारी लाभों का सबसे महत्वपूर्ण वितरणकर्ता है। निजीकरण की शुरुआत और बाजार अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी के बावजूद सरकार की भूमिका को नकारा नहीं गया है। यह अभी भी कानून का प्रवर्तक और सबसे बड़ा नियोक्ता है।

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब राज्य ई-फाइलिंग और न्यायालयों के डिजिटलीकरण के लिए प्रयास करता है, तो यह भविष्य के लिए दृष्टि देता है कि कल्याणकारी लाभों का सबसे बड़ा वादी और सबसे बड़ा वितरक यह सुनिश्चित करने के लिए एक सचेत और जानबूझकर प्रयास कर रहा है कि न्याय वितरण प्रक्रिया को सरल, लचीला बनाया जाए और नागरिकों की जरूरतों के लिए सक्रिय है।

    FASTER, NJDG और JustIS पर

    उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इं‌डिया द्वारा सॉफ्टवेयर 'फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स' (फास्टर) के हालिया लॉन्च का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मॉडल को पूरे देश में दोहराएं। इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के बारे में बात की, जो देश के 25 हाईकोर्टों के निर्णयों को संग्रहीत करता है और जो 3,30,91,658 मामलों का डेटा संग्रहीत करता है। उन्होंने मोबाइल एप्लिकेशन 'जस्टिस' के माध्यम से एनजेडीजी डेटा का उपयोग करने के लिए अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया।

    लाइव-स्ट्रीमिंग और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग पर

    उन्होंने कहा, हालांकि महामारी ने प्रौद्योगिकी को गति दी है, लेकिन यह प्रौद्योगिकी की शुरुआत या अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग का एकमात्र कारण नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वर्चुअल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल ने सुप्रीम कोर्ट को सही मायने में 'नेशनल कोर्ट' बनाने में सक्षम बनाया है।

    यह एक सहभागी अर्थ में एक राष्ट्रीय न्यायालय बन गया है, जिसमें भारत के प्रत्येक वकील के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच उपलब्ध है। इसके अलावा, उन्होंने इस तथ्य पर प्रसन्नता और संतोष व्यक्त किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के कारण अधिक युवा महिला वकील सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने में सक्षम थीं।

    कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग यहां देखें

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