वसई-विरार अवैध निर्माण केस: IAS अधिकारी की गिरफ्तारी रद्द करने वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने ED की याचिका पर नोटिस जारी किया
Praveen Mishra
27 Oct 2025 11:30 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा निलंबित आईएएस अधिकारी और वसई-विरार म्युनिसिपल कमिश्नर अनिलकुमार पवार की गिरफ्तारी को “अवैध” घोषित करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने ईडी की ओर से पेश एएसजी एस.वी. राजू की दलीलें सुनने के बाद आदेश पारित किया। एएसजी ने कहा कि छापों के दौरान बरामद गहनों की तस्वीरें पवार की गिरफ्तारी से पहले की हैं, और “व्हाट्सएप चैट्स देखने पर अदालत हैरान रह जाएगी।”
सीनियर एडवोकेट राजीव शाकधर ने पवार की ओर से कहा कि यह हस्तक्षेप योग्य मामला नहीं है, क्योंकि पवार का नाम किसी भी एफआईआर में नहीं है और अधिकांश बिल्डरों को अभियोजन में शामिल भी नहीं किया गया।
यह मामला 2008–2010 के बीच वसई-विरार क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों से जुड़ा है। ईडी ने 2025 में मामला दर्ज किया और दावा किया कि लगभग ₹300 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग हुई, जिसमें से ₹169 करोड़ पवार से जुड़े हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पवार की गिरफ्तारी को “अवैध” बताते हुए कहा था कि ईडी के पास गिरफ्तारी के समय कोई ठोस साक्ष्य नहीं था और उनसे कोई बरामदगी नहीं हुई। अदालत ने पाया कि एजेंसी का मामला “अनुमानों और अस्पष्ट तथ्यों” पर आधारित है।
ईडी ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक मांगी थी, जो अस्वीकार कर दी गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

