BREAKING| वंतारा द्वारा पशुओं का अधिग्रहण नियमों के अनुसार हुआ: सुप्रीम कोर्ट ने SIT रिपोर्ट स्वीकार की
Shahadat
15 Sept 2025 2:23 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि रिलायंस फाउंडेशन द्वारा जामनगर, गुजरात स्थित वंतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) में पशुओं का अधिग्रहण प्रथम दृष्टया नियामक तंत्र के दायरे में है। न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को विभिन्न आरोपों की जांच के लिए कोई गड़बड़ी नहीं मिली, जिसमें भारत और विदेशों से पशुओं, विशेषकर हाथियों, के अधिग्रहण में सभी कानूनों का पालन किया गया या नहीं, शामिल है।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की खंडपीठ ने कहा कि उन्होंने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली SIT द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट जानबूझकर नहीं पढ़ी, क्योंकि वे सुनवाई के दौरान इसे पढ़ना चाहते थे। जब अदालत ने रिपोर्ट को सरसरी तौर पर पढ़ा तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे (वंतारा की ओर से) और याचिकाकर्ता के वकील सभी उपस्थित थे।
जस्टिस मित्तल ने पढ़ा,
"पशुओं का अधिग्रहण...नियामकीय अनुपालन के तहत किया गया।"
जस्टिस मित्तल ने मौखिक रूप से कहा कि SIT के अनुसार, पशुओं का अधिग्रहण नियामकीय व्यवस्था के अंतर्गत है। उन्होंने आगे कहा कि अदालत इस रिपोर्ट को अपने आदेश का हिस्सा बनाएगी। हालांकि, सॉलिसिटर और साल्वे दोनों ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक खास तरह की कहानी चल रही है। रिपोर्ट प्रकाशित करने से ज़रूरत से ज़्यादा अटकलें लगाने का मौका मिलेगा। साल्वे ने आगे कहा कि पशुओं की देखभाल कैसे की जाती है, आदि में कुछ गोपनीयता जुड़ी हुई है। इसके बाद जस्टिस मित्तल ने कहा कि अदालत लंच के दौरान चैंबर में आदेश पारित करेगा और फिर मामले को बंद कर देगा।
साल्वे ने कहा:
"मेरी एकमात्र चिंता यह है कि जब समिति आई थी तो वंतारा का पूरा स्टाफ उपलब्ध था, सब कुछ दिखाया गया। जानवरों की देखभाल कैसे की जा रही है, इन जानवरों को कैसे रखा जाता है, इस बारे में कुछ औचित्य संबंधी चिंताएं हैं। इन्हें विकसित करने के लिए विशेषज्ञों के साथ भारी धनराशि खर्च की गई, कुछ हद तक व्यावसायिक गोपनीयता भी है। माननीय समझ सकते हैं, यह ऐसी चीज़ है, जो दुनिया भर में इस तरह की सुविधा के लिए प्रतिद्वंदी है। एक कहानी है, जो इसे कम करने की कोशिश कर रही है। अगर पूरा रिकॉर्ड सामने रखा जाता है तो हम नहीं चाहते कि बाकी दुनिया को पता चले, क्योंकि अगर कल, न्यूयॉर्क टाइम्स में कोई और लेख आ गया या आप टाइम्स मैगज़ीन में कोई और लेख देखेंगे..."
जस्टिस मित्तल ने जवाब दिया:
"नहीं, हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। हम मामले को बंद कर रहे हैं और रिपोर्ट स्वीकार कर रहे हैं। हम किसी को भी इस तरह की आपत्तियां उठाने की अनुमति नहीं देंगे... हम समिति की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं... अब, हमारे पास एक स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट है, उन्होंने हर चीज़ की जांच की है, उन्होंने विशेषज्ञों की मदद ली है। उन्होंने जो भी प्रस्तुत किया, हम उसके अनुसार चलेंगे। सिफारिशों और सुझावों के आधार पर सभी अधिकारी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे। आप भी बाध्य हैं, हम किसी को भी बार-बार सवाल उठाने की अनुमति नहीं देंगे।"
एक वकील ने अदालत को यह बताने की कोशिश की कि मंदिर के हाथी को ले जाए जाने के संबंध में एक आईए दायर किया गया तो अदालत ने कहा कि वह इस पर विचार नहीं करेगी।
जस्टिस मित्तल ने आगे कहा कि अब जब स्वतंत्र निकाय को कोई गड़बड़ी नहीं मिली तो कोई अनावश्यक आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा:
"देखिए, कुछ चीजें हैं, जो हमें शायद इस देश का गौरव लगती हैं। हमें इन सभी मामलों को अनावश्यक रूप से नहीं उठाना चाहिए। उसके लिए शोर-शराबा नहीं करना चाहिए। देश में कुछ अच्छी चीजें होने दें। हमें इन सभी अच्छी चीजों पर खुश होना चाहिए... अगर हाथी का अधिग्रहण कानून के अनुसार है तो इसमें क्या कठिनाई है? देखिए, अगर कोई हाथी हासिल करना चाहता है और वह कानून के प्रावधानों का ध्यान रखता है और अधिग्रहण करता है तो इसमें क्या गलत है? आप अपने हाथियों को मंदिर में रखते हैं और उनका इस्तेमाल जुलूस के लिए, दशहरे के लिए करते हैं। मैसूर में, आप ऐसा करते हैं।"
खंडपीठ ने समिति की तत्परता की सराहना की और यह भी कहा कि समिति को मानदेय प्रदान किया जा सकता है।
Case Details: C.R. JAYA SUKIN Vs UNION OF INDIA|W.P.(C) No. 783/2025 Diary No. 44109 / 2025

