UPSC Civil Services Exam : सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग उम्मीदवारों को 18 मई तक स्क्राइब बदलने के लिए आवेदन करने की अनुमति दी

Shahadat

13 May 2025 7:39 AM

  • UPSC Civil Services Exam : सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग उम्मीदवारों को 18 मई तक स्क्राइब बदलने के लिए आवेदन करने की अनुमति दी

    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा 2025 की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने वाले दिव्यांग उम्मीदवारों को 18 मई (शाम 4 बजे) तक रजिस्ट्रेशन फॉर्म में अपने स्क्राइब को बदलने की अनुमति दी है। परीक्षा 25 मई को होने वाली है।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने मिशन एक्सेसिबिलिटी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर आदेश पारित किया, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म में स्क्राइब का नाम बदलने का विकल्प मांगा गया था। उनका कहना है कि रजिस्ट्रेशन फॉर्म में उन्हें परीक्षा से कई महीने पहले 18 फरवरी तक स्क्राइब का विवरण देना था, जिसका मतलब है कि उम्मीदवारों को अपने स्क्राइब से दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के लिए अनुरोध करना होगा। उम्मीदवारों के लिए यह असाधारण रूप से कठिन है, क्योंकि स्क्राइब आमतौर पर स्वैच्छिक सेवा के रूप में ऐसा करते हैं।

    आदेश में कहा गया,

    "ऊपर उल्लिखित प्रस्तुतियों के मद्देनजर, हम यह प्रावधान करते हैं कि संबंधित उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत लेखक बदलने के सभी अनुरोध, जो सीएसई नियम, 2025 के अनुसार लेखक के लिए पात्र हैं, 18 मई, 2025 तक स्वीकार किए जाएंगे।"

    मिशन एक्सेसिबिलिटी का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट राहुल बजाज ने प्रस्तुत किया कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को भी समयसीमा निर्धारित करनी चाहिए, जिसमें UPSC के निर्णय की सूचना दी जाएगी। यह उन उदाहरणों के लिए है, जहां यदि UPSC उम्मीदवार द्वारा चुने गए लेखक को अस्वीकार करता है तो उक्त उम्मीदवार आयोग से लेखक या पुनर्विचार के लिए अनुरोध करने के लिए कदम उठा सकता है।

    इस संबंध में UPSC की ओर से पेश हुए एडवोकेट ऋषिकेश बरुआ ने प्रस्तुत किया कि अब तक दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए 27 अनुरोध प्राप्त हुए हैं। बौरा ने कहा कि आयोग योग्यता के आधार पर सभी अनुरोधों की जांच करेगा और 3 कार्य दिवसों के भीतर उम्मीदवारों को जवाब देगा।

    इस संबंध में न्यायालय ने टिप्पणी की:

    "आयोग ऐसे आवेदन प्राप्त होने पर तुरन्त उस पर निष्पक्ष रूप से विचार करेगा तथा आवेदन प्राप्त होने की तिथि से तीन कार्य दिवसों के भीतर संबंधित अभ्यर्थी/अभ्यर्थियों को तर्कपूर्ण आदेश द्वारा अपने निर्णय से अवगत कराएगा।"

    याचिका में उठाया गया दूसरा मुद्दा दिव्यां अभ्यर्थियों को स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर, एक्सेस विद स्पीच (ZWS) की सुविधा प्रदान करना है। इस मुद्दे पर UPSC द्वारा दायर हलफनामा मौन है।

    ध्यान रहे कि इस न्यायालय की समन्वय पीठ ने CLAT तथा अखिल भारतीय बार एसोसिएशन परीक्षा में शामिल होने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए भी इसी प्रकार की प्रार्थना स्वीकार की थी।

    बरुआ ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता का कहना है कि केवल दो अभ्यर्थियों को स्क्रीन रीडर की आवश्यकता है, जबकि यदि इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाता है तो यह विकल्प सभी पात्र अभ्यर्थियों को प्रदान किया जाना चाहिए। इस संबंध में यह भी कहा गया कि वर्तमान में आयोग के पास प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्था नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की कि इस संबंध में विशिष्ट हलफनामा दायर करने के लिए कुछ समय दिया जाए।

    एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे द्वारा प्रस्तुत केंद्र सरकार का रुख यह है कि इस मुद्दे की जांच की जा सकती है और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार विभाग के साथ UPSC आयोग द्वारा उचित निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस पर किसी भी निर्णय के लिए किसी भी प्रकार के वैधानिक संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी।

    न्यायालय अब दिव्यांग व्यक्तियों के लिए स्क्रीन रीडर के मुद्दे पर 16 मई को मामले की सुनवाई करेगा।

    'केस टाइटल: मिशन एक्सेसिबिलिटी बनाम भारत संघ और अन्य। | डायरी नंबर 8097-2025

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